स्मार्ट टीकाकरण रणनीति अपनाकर भारत में रोकी जा सकती है मौतें : आईसीएमआर की रिपोर्ट

नयी दिल्ली: आरसीएमआर (ICMR) ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत में "स्मार्ट टीकाकरण" दृष्टिकोण की वकालत की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादा आबादी के टीकाकरण से कहीं बेहतर ये होगा कि पहले प्राथमिक समूह वाले लोगों का टीकाकरण किया जाए. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक आईसीएमआर की रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर टीकाकरण की तुलना में एक बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य विकल्प बनाना अच्छा होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2021 9:15 AM

नयी दिल्ली: आरसीएमआर (ICMR) ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत में “स्मार्ट टीकाकरण” दृष्टिकोण की वकालत की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादा आबादी के टीकाकरण से कहीं बेहतर ये होगा कि पहले प्राथमिक समूह वाले लोगों का टीकाकरण किया जाए. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक आईसीएमआर की रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर टीकाकरण की तुलना में एक बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य विकल्प बनाना अच्छा होगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी प्राथमिकता समूहों को कवर करने वाले 60 फीसदी प्रभावकारिता वाले वैक्सीन संक्रमण के गंभीर परिणाम को 20.6 फीसदी तक कर सकते हैं और कुल मौतों को 29.7 फीसदी तक कम कर सकता है. इसी प्रकार कोई टीका जो संक्रमण को नहीं रोक सकता लेकिन रोग की गंभीरता को कम कर सकता है, उससे रोग की गंभीरता को 10.4 फीसदी और मृत्यु दर में 32.9 फीसदी की कमी आयेगी.

अध्ययन कमजोर या प्राथमिकता समूह टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करने का समर्थन करता है जो मृत्यु दर को कम करने और बीमारी के खिलाफ अधिक सुरक्षा प्रदान करने में कारगर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में जब कोरोना वैक्सीन की कमी है तो वैसे लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है और वे किसी और गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं.

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विश्लेषण इस बात को रेखांकित किया गया है कि भारत जैसे बड़े देश में वैक्सीन की कितनी भी मात्रा उपलब्ध रहेगी, तब भी टीकाकरण अभियान पर एक दबाव बना रहेगा, क्योकि यहां वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या काफी ज्यादा है. रिपोर्ट कहता है कि टीकाकरण रोलआउट को संक्रमण के गंभीर परिणामों के जोखिम में सबसे अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए.

अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि सार्वजनिक टीकाकरण के बजाय सार्वजनिक स्वास्थ्य विचारों पर आधारित ‘स्मार्ट टीकाकरण’ का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अध्ययन से यह भी पता चलता है कि कोविड-19 के खिलाफ सभी परिभाषित प्राथमिकता समूहों को टीकाकरण से टीकाकरण के बिना और प्रतिबंधों को पूरी तरह से उठाने की तुलना में समग्र स्वास्थ्य बोझ में काफी कमी आयेगी.

बता दें कि भारत में जनवरी में जब टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गयी थी. उस समय प्राथमिक समूह तय किया गया था. अब तक, लगभग 80 फीसदी श्रमिकों और 90 फीसदी फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को टीके की दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं. सरकार ने भी इसी प्रकार टीकाकरण के चरणों को शुरू किया. सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स को टीका लगाया गया. उसके बाद धीरे-धीरे इसका विस्तार किया गया.

Posted By: Amlesh Nandan.

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