सीएम हिमंता का बड़ा दावा, चिकन नेक कॉरिडोर को कमजोर करने की हो रही साजिश, धुबरी में दिखे बांग्लादेशी नारे

Chicken Neck Corridor: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दावा किया कि बांग्लादेशी कट्टरपंथी ‘चिकन नेक कॉरिडोर’ को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं. उन्होंने कहा कि धुबरी जिले में दीवारों पर बांग्लादेश के समर्थन में नारे लिखे गए, जिससे स्थानीय नागरिकों को भड़काने की कोशिश हो रही है.

By Shashank Baranwal | August 22, 2025 10:35 AM

Chicken Neck Corridor: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने गुरुवार को बड़ा दावा किया कि बांग्लादेशी कट्टरपंथियों का एक वर्ग ‘चिकन नेक कॉरिडोर’ को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है. इसके लिए वे उन भारतीय नागरिकों को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं, जो कभी बांग्लादेश से पलायन कर भारत आए थे.

बांग्लादेश के प्रति निष्ठा दिखाने के नारे

सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सीमावर्ती इलाकों, खासकर धुबरी जिले में यह साजिश चल रही है. उन्होंने बताया कि हाल ही की यात्रा के दौरान उन्होंने दीवारों पर लिखे ऐसे नारे देखे, जिनमें लोगों से बांग्लादेश के प्रति निष्ठा दिखाने की अपील की गई थी.

पूर्व बांग्लादेशी नागरिकों को भड़काने की कोशिश

मुख्यमंत्री हिमंता ने यह भी बताया कि चिकन नेक के दोनों ओर कई निवासी मूल रूप से बांग्लादेश के हैं. कुछ तो 1971 से पहले ही यहां बस गए थे और अब भारतीय नागरिक हैं. लेकिन इसके बावजूद भी बांग्लादेश उन्हें उनके मूल की याद दिलाकर भड़काने की कोशिश कर रहा है. बावजूद इसके, बांग्लादेश उन्हें उनके मूल की याद दिलाकर भड़काने की कोशिश कर रहा है.

कट-ऑफ वर्ष तय नहीं करता वफादारी

सीएम हिमंता ने कहा कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि उनके मूल देश और भारत के बीच वफादारी बंट जाती है. बांग्लादेश के कुछ तत्व चिकन नेक के आस-पास के निवासियों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी भारत आने वाले बांग्लादेशी और पहले आने वाले बांग्लादेशियों में सिर्फ कट-ऑफ वर्ष का अंतर है, लेकिन वफादारी उस कट-ऑफ वर्ष से तय नहीं होती है.

घुसपैठियों पर लगाम कसने की नई पहल

सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने मंत्रिमंडल की बैठक में घुसपैठियों पर नकेल कसने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. अब राज्य में 18 साल की उम्र से ज्यादा लोग पहली बार आधार कार्ड नहीं बनवा पाएंगे. जो लोग अभी तक आधार कार्ड नहीं बनवाए हैं, उन्हें एक महीने तक का समय दिया जाएगा. हालांकि, चाय बागानों में रहने वाले आदिवासी, एससी और एसटी को इस प्रतिबंध से बाहर रखा गया है. इन समुदाय के लोग अगले एक साल तक आधार कार्ड बनवा सकेंगे.