CJI BR Gavai Farewell Speech: 23 नवंबर को रिटायर होंगे CJI बी आर गवई, जानें फेयरवेल स्पीच में क्या बोले

CJI BR Gavai Farewell Speech: भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) बी आर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. इससे पहले उन्होंने अपने फेयरवेल स्पीच में कहा कि वह बौद्ध धर्म का पालन करते हैं, लेकिन वह वास्तव में एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं जो सभी धर्मों में विश्वास रखते हैं.

By ArbindKumar Mishra | November 20, 2025 11:45 PM

CJI BR Gavai Farewell Speech: ‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन’ (SCAORA) द्वारा आयोजित एक विदाई समारोह में बोलते हुए, सीजेआई बी आर गवई ने कहा कि देश की न्यायपालिका ने उन्हें बहुत कुछ दिया है. गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, और शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट में उनका आखिरी कार्य दिवस होगा.

मैं धर्मनिरपेक्ष हूं : सीजेआई बी आर गवई

सीजेआई बी आर गवई ने कहा, “मैं बौद्ध धर्म का पालन करता हूं, लेकिन मुझे धार्मिक पढ़ाई या धर्म से जुड़ी गहरी जानकारी ज़्यादा नहीं है. मैं वास्तव में धर्मनिरपेक्ष हूं और मैं हिंदू धर्म, सिख धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म, सबमें विश्वास रखता हूं. मैंने यह अपने पिता से सीखा है. वह धर्मनिरपेक्ष और डॉ आम्बेडकर के अनुयायी थे. बड़े होते हुए, जब हम उनके साथ राजनीतिक समारोहों में जाते थे और उनके दोस्त कहते थे, ‘यहां आओ, यहां की दरगाह प्रसिद्ध है, या यहां का गुरुद्वारा प्रसिद्ध है’, तो हम जाते थे.”

डॉ आम्बेडकर और संविधान की वजह से सीजेआई के पद तक पहुंचा : गवई

सीजेआई गवई ने कहा कि वह केवल डॉ आम्बेडकर और संविधान की वजह से ही इस वर्तमान पद तक पहुंच पाए. उन्होंने कहा, “अन्यथा, मुझे नहीं लगता कि किसी नगरपालिका के स्कूल में जमीन पर बैठकर पढ़ने वाला कोई भी लड़का कभी इसका सपना देख सकता था. मैंने भारतीय संविधान के चार आधारभूत सिद्धांतों – न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के अनुसार जीने की कोशिश की है.”

सुप्रीम कोर्ट को केवल सीजेआई-केंद्रित अदालत नहीं होना चाहिए : गवई

सीजेआई गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को केवल सीजेआई-केंद्रित अदालत नहीं होना चाहिए, बल्कि सभी न्यायाधीशों का न्यायालय होना चाहिए. उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट एक बहुत बेहतरीन संस्था है. जब तक न्यायाधीशों, बार, रजिस्ट्री और कर्मचारियों सहित सभी हितधारक मिलकर काम नहीं करते, अदालत कार्य नहीं कर सकती. जहां बार की समस्याओं की बात है, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और एससीएओआरए को हमेशा साथ लिया जाना चाहिए.”