पुराने हो रहे हैं चीता और चेतक हेलीकॉप्टर, सैन्यबलों ने जतायी चिंता

Cheetah and chetak helicopters: भारतीय सैन्य बलों (indian armed forces) ने एक बार फिर चेतक और चीता हेलीकॉपटर्स को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि अब यह दोनो ही हेलीकॉप्टर्स का उम्र पूरी होने वाली है. 2023 के अंत के बाद से इस लाइट वेट चॉपर्स का इस्तेमाल करना खतरनाक साबित हो सकता है. इनकी तकनीकी उम्र 2023 के अंत से खत्म हो ना शुरु हो जायेगा. सैन्यबलों ने सरकार से गुजारिश की है कि लंबे समय से लंबित मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट में तेजी लायी जाये, ताकि समय से उन्हें चॉपर्स मिल सके.

By Prabhat Khabar Print Desk | September 29, 2020 8:05 AM

भारतीय सैन्य बलों ने एक बार फिर चेतक और चीता हेलीकॉपटर्स को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि अब यह दोनो ही हेलीकॉप्टर्स का उम्र पूरी होने वाली है. 2023 के अंत के बाद से इस लाइट वेट चॉपर्स का इस्तेमाल करना खतरनाक साबित हो सकता है. इनकी तकनीकी उम्र 2023 के अंत से खत्म हो ना शुरु हो जायेगा. सैन्यबलों ने सरकार से गुजारिश की है कि लंबे समय से लंबित मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट में तेजी लायी जाये, ताकि समय से उन्हें चॉपर्स मिल सके.

सैन्य बलों ने साथ ही हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि समय सीमा के अंदर उनकी जरूरत के मुताबिक उन्हें हेलीकॉप्टर की आपूर्ति करे. एक सैन्य अधिकारी के मुताबिक रक्षा मंत्रालय को इस बारे में बता दिया गया है कि अधिकांश सिंगल इंजन चीता और चेतक अब 40 साल से अधिक पुराने हो चुके हैं इस कारण उन्हें कई ऑपरशेन्स में परेशानी हो रही है.

बता दे कि पिछले 15 वर्षों से अधिक समय से सैन्य बलों द्वारा लाइट वेट चॉपर्स की मांग की जा रही है. उन्होंने कहा कि सीमा पर तनाव का माहौल बना हुआ है. साथ ही लद्दाख में सर्दियां बढ़ने वाली हैं जो लंबे समय तक चलेगी. ऐसे में उन्हें परेशानी हो सकती है.

इस समय आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के पास 187 चेतक और 205 चीता हेलीकॉप्टर्स हैं. जिसका इस्तेमाल बेहद ही ऊंचाई वाले जगह सियाचीन ग्लेशियर क्षेत्र में किया जाता है. पर यह दोनों ही हेलीकॉप्टर उच्च दुर्घटना दर और तकनीकी खराबी से जूझ रहे हैं. जबकि कुल मिलाकर रक्षा की इन तीनों सेवाओं के लिए 483 नये लाइट वेट हेलीकॉप्टर की आवश्यकता है.

पर इसे पूरा करने के लिए अभी तीन प्रकार की समस्याएं सामने आ रही है. जो पहले से ही ठंडे बस्ते में चली गयी है. पहला 2015 में भारत और रूस सरकार के बीच संयुक्त उद्यम को लेकर किया गया करार है जिसके तहत 200 डबल इंजन Kamov-226T हेलीकॉप्टर का निर्माण करना हैं. इसमें से 135 थल सेना को और 65 एयरफोर्स को दिये जाने हैं. इसमें 20,000 करोड़ की लागत आयेगी. पर पिछले पांच वर्षों से यह योजना तकनीकी मूल्यांकन के चरण में है. अभी तक फाइनल कॉन्ट्रैक्ट नहीं हुआ है. स्वदेश में निर्मित किये जाने के रूस के प्रस्ताव पर भी अभी कुछ समस्याएं हैं. पर इसके लिए एचएएल को एक ज्वाइंट वेंचर पार्टनर की आवश्यकता होगी.

एचएएल के प्रमुख आर माधवन ने कहा कि एचएएल निश्चित रुप से सेना के लिए लाइट वेट हेलीकॉप्टर को विकसित कर रहा है. शुरूआती जरूरत के हिसाब से आर्मी के लिए 111 और एयरफोर्स के लिए 61 हेलीकॉप्टर बनाये जा रहे हैं. इसके इस्तेमाल की अनुमति और एनओसी मिलने के बाद यह सेना के लिए उपल्बध होगा. लेकिन मांग और उत्पादन क्षमता को देखते हुए अधिकारी KAMOV और एचएएल के प्रोजेक्ट को आगे धकेलना चाहते हैं. ताकि आगे समस्या नहीं हो.

तीसरी प्रस्तावित परियोजना 21,000 करोड़ रुपये की लागत से 111 सशस्त्र, डबल इंजन वाली नौसैनिक उपयोगिता हेलिकॉप्टरों का उत्पादन करने के लिए “रणनीतिक साझेदारी” की हैय इसके तहत, एक भारतीय निजी क्षेत्र की कंपनी को एक विदेशी निर्माता के साथ गठजोड़ करना था. चार भारतीय फर्मों (टाटा, अडानी, महिंद्रा डिफेंस और भारत फोर्ज ) और तीन विदेशी (एयरबस, कामोव और लॉकहीड मार्टिन-सिकोरस्की) पहले शॉर्टलिस्ट किए गए थे.

Posted By: Pawan Singh

Next Article

Exit mobile version