Budget 2023 : पर्यावरणविदों ने कहा-ग्रीन ग्रोथ पर फोकस करके सरकार ने बताया हम क्लाइमेंट चेंज से बेखबर नहीं

केंद्रीय बजट 2023-2024 में सरकार ने अपनी 7 प्रमुख प्राथमिकताओं में हरित विकास यानी ग्रीन ग्रोथ को चुना है . यह एक स्वागत योग्य कदम है.

By Rajneesh Anand | February 2, 2023 6:38 PM

Union Budget 2023 में सरकार ने ग्रीन ग्रोथ पर जोर दिया है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को अपनाने और 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करना हमारी प्राथमिकता है. इस बार के बजट में केंद्र सरकार ने जिस जीवटता के साथ ग्रीन एनर्जी और एनर्जी ट्रांजिशन को अपनाने की बात कही, उससे पर्यावरणविदों में उत्साह है. ग्रीन ग्रोथ पर सरकार के संकल्प को देखते हुए प्रभात खबर ने देश के कुछ चुनिंदा पर्यावरणविदों से बातचीत की.

सरकार ने संवेदनशीलता दिखाई

पर्यावरणविद और क्लीन एनर्जी के लिए कार्यरत सीमा जावेद ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्रीय बजट 2023-2024 में सरकार ने अपनी 7 प्रमुख प्राथमिकताओं में हरित विकास यानी ग्रीन ग्रोथ को चुना है . यह एक स्वागत योग्य कदम है. ग्रीन हाइड्रोजन सहित एनर्जी ट्रांजिशन (ऊर्जा परिवर्तन) के लिए बजट में आवंटन, बैटरी भंडारण पर जोर और ग्रीन क्रेडिट घोषणा से यह साफ जाहिर है कि भारत अपनी आबादी पर पड़ने वाले क्लाइमेट चेंज के प्रभावों से बेखबर नहीं है. गौरतलब है कि देश विगत कुछ वर्षों से जिस तरह क्लाइमेंट चेंज से जूझ रहा है और इस वर्ष जिस तरह की जानलेवा गर्मी की भविष्यवाणी हुई है और देश कभी सूखे का कहर तो कभी बाढ़ का कहर झेल रहा सरकार द्वारा बजट में किये गये प्रावधान यह साबित करते हैं कि सरकार बेखबर नहीं है. यह बजट देश में ग्रीन एनर्जी , ग्रीन मोबिलिटी, हरित नौकरियों को बढ़ाने और ऊर्जा परिवर्तन को गति देने में मदद करेगा. 9000 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी होने वाली एक संशोधित योजना के माध्यम से एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी भी एक स्वागत योग्य कदम है.

एनर्जी ट्रांजिशन पर फोकस

मार्तंड शार्दुल (पाॅलिसी डायरेक्टर, ग्लोबल विंड एनर्जी कौंसिल) का मानना है कि केंद्रीय बजट 2023-24 में जिस तरह हरित हाइड्रोजन को सपोर्ट किया गया है और एनर्जी ट्रांजिशन की बात कही गयी है, निश्चित तौर पर इससे सौर एवं पवन ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने में सहायता मिलेगी. साथ ही सरकार की सहायता से अन्य हाईब्रिड प्रोजेक्ट को भी बढ़ाया जा सकेगा. रिन्यूएबल एनर्जी का काॅस्ट काफी कम है और इसके जरिये ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन भी सस्ता होगा, क्योंकि भारत में पानी और सूरज की रौशनी दोनों ही बहुतायत में मौजूद है. कम दर में उत्पादन होने से ग्रीन हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. मार्तंड शार्दुल का कहना है कि बजट में क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन को जिस तरह से बढ़ावा देने की बात कही गयी है उससे हजारों एमएसएमई को भी मदद मिलेगी जो पवन आधारित हैं.

शून्य उत्सर्जन लक्ष्य

उल्का केलकर (डायरेक्टर, क्लाइमेंट प्रोग्राम, WRI) ने कहा कि भारत जिस तरह शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, वह स्वागत योग्य है. सरकार ने 35000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया है, लेकिन भारत में शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रति वर्ष लगभग 30 बिलियन डाॅलर की जरूरत होगी. इसके लिए तीन प्रकार के उपायों की आवश्यकता होगी लागत को कम करना, मांग एकत्रीकरण के उपाय जैसा कि एलईडी लाइटिंग और इलेक्ट्रिक बसों के लिए किया गया है और अंतिम है हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइज़र और अपतटीय पवन के लिए वित्तपोषण.

यह बजट अलग है

निशांत सक्सेना (क्लाइमेट कहानी के संचालक) ने कहा कि यह बजट कुछ अलग है, क्योंकि इसकी प्राथमिकता में ग्रीन ग्रोथ है. इस बजट की सात प्राथमिकताओं में से एक है ग्रीन ग्रोथ. बजट की प्राथमिकताओं में ग्रीन ग्रोथ को शामिल कर सरकार ने एक बार फिर मजबूती से जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी संवेदशीलता और इससे निपटने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है. रिन्यूबल एनर्जी इवेक्यूएशन, गोबरधान योजना, ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम, ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं और मिष्टी जैसे प्रावधान इस बजट को बेहद खास बनाते हैं.

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