अयोध्या के महंत ने अमित शाह को लिखा पत्र, कहा- राम मंदिर के नाम पर करोड़ों की हुई ठगी

Ayodhya Mahant Letter To Amit Shah अयोध्या में तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है. गृहमंत्री को लिखे अपने पत्र में महंत ने अयोध्या में राम मंदिर के नाम पर करोड़ों की ठगी का आरोप लगाया है. साथ ही इसकी एक कॉपी सीएम योगी व अयोध्या के डीएम को भी भेजी गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2021 7:50 PM

Ayodhya Mahant Letter To Amit Shah अयोध्या में तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है. गृहमंत्री को लिखे अपने पत्र में महंत ने अयोध्या में राम मंदिर के नाम पर करोड़ों की ठगी का आरोप लगाया है. साथ ही इसकी एक कॉपी सीएम योगी व अयोध्या के डीएम को भी भेजी गयी है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, महंत परमहंस दास ने अपने पत्र में राम मंदिर के नाम पर बने कई संगठनों द्वारा धोखाधड़ी कर श्रद्धालुओं से संपत्ति व धन जुटाने का आरोप लगाया है. गृह मंत्री से उन्होंने इन लोगों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. परमहंस दास ने मांग करते हुए कहा है कि राम मंदिर के नाम पर इन संगठनों द्वारा एकत्रित किए धन को श्री राम मंदिर ट्रस्ट के अधिकृत व्यक्ति को सौंप देना चाहिए.

महंत परमहंस के मुताबिक, ऐसी घटनाएं संतों और महंतों की विश्वसनीयता और इरादे पर सवाल खड़ करती है. ऐसे में जिन लोगों ने भगवार राम के नाम पर धन एकत्रित किए है, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका उपयोग राम मंदिर के निर्माण में ही किया जाएं. महंत के अनुसार, उन्होंने वरीय अधिकारियों से श्री राम जन्मभूमि न्यास द्वारा एकत्रित किए गए धन के बारे में सवाल किया था. बताया गया कि इसका उपयोग मंदिर निर्णाण, उसके पत्थरों को तराशने के काम और मंदिर की सुरक्षा के कार्य में लिया गया. उन्होंने आगे कहा कि राम मंदिर के नाम पर श्रद्धालुओं के साथ जो ठगी हुई है, उससे वे आहत है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो वे इसको लेकर सत्याग्रह करेंगे.

परमहंस दास ने कहा कि उन्होंने चिट्ठी में महंत जनमेजस शरण का उदाहरण दिया है, जिन्होंने श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास ट्रस्ट का गठन किया और राम मंदिर के नाम पर बहुत पैसा एकत्रित किया. महंत नृत्य गोपाल दास की अध्यक्षता में विश्व हिंदू परिषद द्वारा एक ट्रस्ट का गठन हुआ था. हालांकि उच्चतम न्यायलय के फैसले के आधार पर एक औपचारिक ट्रस्ट बनने के बाद, वही लोग उस ट्रस्ट में आए.

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