Atal Bihari Vajpayee: अटल बिहारी बाजपेयी की 5 कविताएं, जो आपको आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने में करेगी मदद

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उन चुनिंदा नेताओं में से एक थे, जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्में अटल बिहारी वाजपेयी एक आम आदमी से लेकर राजनीतिक व देश के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचे. आज हम आपको उनकी कुछ कविताएं सुनाएंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 16, 2022 10:31 AM

Atal Bihari Vajpayee: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि है, इस मौके पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित कई दिग्गज नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी उन चुनिंदा नेताओं में से एक थे, जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उनकी कविताएं आज तक लोगों को याद है, ऐसे में आज हम उनके कुछ प्रेरणादयक कविता सुनाएंगे, जिसे सुनकर आप आत्मविश्वास से लबरेज हो जाएंगे.

1. आओ फिर से दिया जलाएं

आओ फिर से दिया जलाएं
भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएं.
आओ फिर से दिया जलाएं

हम पड़ाव को समझे मंजिल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएं.
आओ फिर से दिया जलाएं.

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियां गलाएं.
आओ फिर से दिया जलाएं

2. मैं न चुप हूं न गाता हूं

सवेरा है मगर पूरब दिशा में
घिर रहे बादल
रूई से धुंधलके में
मील के पत्थर पड़े घायल
ठिठके पांव
ओझल गांव
जड़ता है न गतिमयता

स्वयं को दूसरों की दृष्टि से
मैं देख पाता हूं
न मैं चुप हूं न गाता हूं

समय की सदर सांसों ने
चिनारों को झुलस डाला,
मगर हिमपात को देती
चुनौती एक दुर्ममाला,

बिखरे नीड़,
विहंसे चीड़,
आँसू हैं न मुस्कानें,
हिमानी झील के तट पर
अकेला गुनगुनाता हूं
न मैं चुप हूं न गाता हूं.

3. पुनः चमकेगा दिनकर

आजादी का दिन मना,
नई ग़ुलामी बीच
सूखी धरती, सूना अंबर,
मन-आंगन में कीच
मन-आंगम में कीच,
कमल सारे मुरझाए;
एक-एक कर बुझे दीप,
अंधियारे छाए
कह क़ैदी कबिराय
न अपना छोटा जी कर
चीर निशा का वक्ष
पुनः चमकेगा दिनकर

4. कदम मिला कर चलना होगा

कदम मिला कर चलना होगा

बाधाएं आती हैं आएं

घिरें प्रलय की घोर घटाएं,

पावों के नीचे अंगारे,

सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,

निज हाथों में हंसते-हंसते,

आग लगाकर जलना होगा.

कदम मिलाकर चलना होगा

हास्य-रूदन में, तूफानों में,

अगर असंख्यक बलिदानों में,

उद्यानों में, वीरानों में,

अपमानों में, सम्मानों में,

उन्नत मस्तक, उभरा सीना,

पीड़ाओं में पलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा

उजियारे में, अंधकार में,

कल कहार में, बीच धार में,

घोर घृणा में, पूत प्यार में,

क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,

जीवन के शत-शत आकर्षक,

अरमानों को ढलना होगा

क़दम मिलाकर चलना होगा

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,

प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,

सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,

असफल, सफल समान मनोरथ,

सब कुछ देकर कुछ न मांगते,

पावस बनकर ढलना होगा

क़दम मिलाकर चलना होगा

कुछ काँटों से सज्जित जीवन,

प्रखर प्यार से वंचित यौवन,

नीरवता से मुखरित मधुबन,

परहित अर्पित अपना तन-मन,

जीवन को शत-शत आहुति में,

जलना होगा, गलना होगा

क़दम मिलाकर चलना होगा

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5. कौरव कौन, कौन पांडव

कौरव कौन
कौन पांडव,
टेढ़ा सवाल है
दोनों ओर शकुनि
का फैला
कूटजाल है
धर्मराज ने छोड़ी नहीं
जुए की लत है
हर पंचायत में
पांचाली
अपमानित है
बिना कृष्ण के
आज
महाभारत होना है,
कोई राजा बने,
रंक को तो रोना है

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