ड्रोन से देश के दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचाई जाएंगी कोरोना रोधी टीके और दवाएं, मोदी सरकार की ओर से निकाले गए टेंडर

सरकार ने देश के अंतिम छोर तक कोरोना वैक्सीन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए देश के कुछ चुनिंदा स्थानों के सुदूरवर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में कोरोना रोधी टीके और दवाओं पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए सरकार की ओर से टेंडर भी जारी किए गए हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | June 14, 2021 4:37 PM

नई दिल्ली : कोरोना की तीसरी लहर शुरू होने के पहले तक भारत की ज्यादातर आबादी को वैक्सीन लगाने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं. देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में कोरोना वैक्सीन की सुगमतापूर्वक पहुंच बनाने के लिए सरकार ने काफी पहले ही सप्लाई चेन विकसित कर लिया है, लेकिन अब देश के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में भी कोरोना वैक्सीन को सुगमतापूर्वक पहुंचाने के इंतजाम किए जा रहे हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के अनुसार, सरकार ने देश के अंतिम छोर तक कोरोना वैक्सीन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए देश के कुछ चुनिंदा स्थानों के सुदूरवर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में कोरोना रोधी टीके और दवाओं पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए सरकार की ओर से टेंडर भी जारी किए गए हैं.

सरकार की ओर से जारी किए गए टेंडर के दस्तावेज के अनुसार, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के साथ मिलकर सफलतापूर्वक व्यवहारिकता अध्ययन किया और मानवरहित विमानों (यूएवी) का इस्तेमाल कर टीकों के वितरण के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) विकसित की है.

आईसीएमआर की ओर से एचएलएल इंफ्रा टेक सर्विसेज लिमिटेज (खरीद सहयोग एजेंसी) ने केंद्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल के जरिए अनुभवी भारतीय एजेंसियों से मानवरहित विमानों के जरिये चिकित्सा आपूर्ति (टीके और दवाओं की आपूर्ति) के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) आमंत्रित की है.

टेंडर के शर्तों और नियमों के अनुसार, आईसीएमआर उन यूएवी संचालकों को शामिल करेगा, जो निश्चित पूर्व निर्धारित उड़ान मार्ग पर दृश्य सीमा रेखा से परे (बीवीएलओएस) संचालन में सक्षम हों और देश के चुनिंदा स्थानों पर चिकित्सा आपूर्ति वितरित करने के बाद वापस कमान स्टेशन पर लौट आएं. मौजूदा महामारी के दौरान कोरोना के प्रकोप को रोकने के लिए विभिन्न एजेंसियां सरकार की मदद कर रही हैं.

टेंडर दस्तावेज में कहा गया है कि टीकों के वितरण को मजबूत बनाने के लिए आईसीएमआर ने आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर यूएवी के जरिए टीकों के वितरण की व्यवहारिकता का सफलतापूर्वक स्टडी किया है. इसमें कहा गया कि स्टडी के शुरुआती नतीजों के आधार पर आईसीएमआर ने यूएवी का इस्तेमाल कर टीकों के सफलतापूर्वक वितरण के लिए एक एसओपी विकसित की.

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Posted by : Vishwat Sen

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