Amitabh Bacchan Birthday: लिपस्टिक ने उड़ा दिए अमिताभ के 4000 वोट! क्या है पहली बार चुनाव लड़ने की कहानी?
Amitabh Bacchan Birthday: 1984 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने राजनीति में एक धमाकेदार एंट्री की थी. उनके सामने थे दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा. यह चुनाव इसलिए भी खास बना क्योंकि कई महिला मतदाताओं ने लिपस्टिक से वोट डालकर अभिनेता के प्रति अपने प्रेम का इज़हार किया.
Amitabh Bacchan Election Story: आज बॉलीवुड के शहंशाह 83 वर्ष के हो गए हैं मैं बात कर रहा हूं अमिताभ बच्चन की जो उन्हें बिग भी कहा जाता है. अमिताभ बच्चन के साथ कई किस्से जुड़े हैं लेकिन सबसे दिलचस्प रोचक किस्से उसे समय की है जब अमिताभ बच्चन अपने फिल्म के दुनिया में सबसे चर्चित थे. साल 1984 में लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस की तरफ से इलाहाबाद सीट पर चुनाव लड़ रहे थे और बात ऐसी थी कि उनके फैंस इतना अति उत्साहित है की वोट उनको देते ही लेकिन 4000 की कटौती कर दिए तो चलिए इसी किस को सुनते हैं आज के जन्मदिन पर की क्या थे वह मामला और क्या थी वो रोचक कहानी जिसे अमिताभ बच्चन को 4000 वोट कम मिले.
राजनीति में अमिताभ की एंट्री
1984 के आम चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हो रहे थे. कांग्रेस पार्टी पर संकट था, लेकिन जनता की सहानुभूति भी उन्हीं के साथ थी. इस माहौल में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने करीबी मित्र अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद से मैदान में उतारा.
लिपस्टिक वाली वोटिंग: जब मतदाताओं ने भावनाओं में बहकर वोट दिए
अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता उस दौर में चरम पर थी. वे जहां जाते, हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती, महिलाएं उन्हें दुपट्टे उछालकर अपना समर्थन जतातीं. लेकिन मतगणना के दिन एक अजीब दृश्य सामने आया.
जब बैलेट पेपर गिने जा रहे थे, तो चुनाव अधिकारियों ने देखा कि कई महिला मतदाताओं ने लिपस्टिक से निशान लगाकर अमिताभ को वोट दिया था, न कि चिह्न के लिए तय मुहर से. परिणामस्वरूप, करीब 4,000 वोट रद्द कर दिए गए. इसके बावजूद भी, अमिताभ बच्चन को 2,97,461 वोट मिले, जबकि बहुगुणा को सिर्फ 1,09,666 वोट मिले.
राजनीति से मोहभंग: अमिताभ बोले, ‘गलती थी’
लोकसभा पहुंचने के बाद अमिताभ बच्चन को जल्द ही महसूस हुआ कि राजनीति उनकी दुनिया नहीं है. बोफोर्स विवाद के बाद राजनीतिक उठापटक और गांधी परिवार से दूरी ने उन्हें और भी असहज कर दिया. कुछ ही समय में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और कहा, “राजनीति में आना मेरी गलती थी. मैं भावनाओं में बहकर चुनाव लड़ बैठा, लेकिन यह दुनिया मेरे लिए नहीं थी.”
