‘डिजिटल स्‍ट्राइक’ के बाद भारत ने चीन को दिया एक और झटका, हाइवे प्रोजेक्‍ट में भी चाइनीज कंपनियों पर लगा बैन

Indo-China face-off, Galwan valley , Violent clash between India and China soldiers : केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि भारत हाइवे प्रोजेक्‍ट्स में चीनी कंपनियों को बैन किया जाएगा. गडकरी ने कहा, अगर कोई चाइनीज कंपनी ज्‍वाइंट वेंचर के रास्‍ते भी हाइवे प्रोजेक्‍ट्स में इंट्री करने की कोशिश की, तो भी उसे रोक दिया जाएगा. इसके अलावा गडकरी ने यह भी कहा कि सरकार MSME सेक्‍टर में भी चाइना को इंट्री नहीं करने दी जाएगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 1, 2020 6:02 PM

नयी दिल्‍ली : लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून की रात चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच सीमा विवाद चरम पर है. इस बीच दोनों ओर से शांति को लेकर कोर कमांडर स्‍तरीय वार्ता भी जारी है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है. दूसरी ओर चीन सीमा पर लगातार सैन्‍य शक्‍ति बढ़ाता जा रहा है. भारत ने भी अब चीन को तगड़ा झटका देने की पूरी तैयारी कर ली है. पहले तो भारत ने 59 चाइनीज मोबाइल ऐप को बैन कर दिया, अब हाइवे प्रोजेक्‍ट भी चीनी कंपनियों पर बैन लगाने की तैयारी कर ली है.

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि सरकार चीनी कंपनियों को राजमार्ग परियोजनाओं का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देगी. इसमें चीन की कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम बनाने वाली कंपनियां भी शामिल होंगी. उनके इस बयान को हाल में गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हुई हिंसक झड़प से जोड़कर देखा जा रहा है.

इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. सीमा पर इस विवाद के बीच सरकार ने सोमवार को 59 चीनी मोबाइल एप पर भी प्रतिबंध भी लगाया है. गडकरी ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि चीनी निवेशक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) जैसे विभिन्न क्षेत्रों में निवेश ना कर सकें. गडकरी के पास एमएसएमई मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है. गडकरी ने एक साक्षात्कार में कहा, हम सड़क निर्माण के लिए उन संयुक्त उपक्रमों को ठेका नहीं देंगे जिनमें चीन की कंपनी भागीदार होगी. हम इस पर कड़ा रुख बनाए रखेंगे.

यदि वह संयुक्त उपक्रम में शामिल होकर भारत आते हैं, हम उन्हें इसकी अनुमति नहीं देंगे. मंत्री ने कहा कि चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर नीति जल्द पेश कर दी जाएगी. वहीं राजमार्ग परियोजनाओं में भारतीय कंपनियों को प्राथमिकता देने के लिए नियम आसान किए जाएंगे.

मौजूदा वक्त में कुछ परियोजनाओं में चीनी कंपनियां पहले से भागीदार हैं. इस बारे में एक सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा कि नया निर्णय मौजूदा और भविष्य की निविदाओं पर लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यदि किसी परियोजना में शामिल कंपनी की सहयोगी चीनी कंपनी है तो उसके लिए पुन: निविदा निकाली जाएगी.

गडकरी ने कहा कि सरकार घरेलू कंपनियों के लिए नियमों को आसान कर रही है ताकि वह बड़ी परियोजनाओं के लिए बोली लगा सकें. उन्होंने इस संबंध में राजमार्ग सचिव गिरिधर अरमाणे और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन एस.एस. संधू को निर्देश जारी कर दिए हैं कि वह घरेलू कंपनियों के लिए प्रौद्योगिकी और वित्तीय योग्यता नियमों को आसान करें. उन्होंने विस्तार में इसे समझाया, यदि कोई ठेकेदार कंपनी किसी छोटी परियोजना के लिए चयनित होने की योग्यता रखता है तो वह बड़ी परियोजनाओं के लिए भी योग्य हो सकती है.

निर्माण से जुड़े नियम सही नहीं हैं इसलिए मैंने इन्हें बदलने के लिए बोला है. ताकि हम भारतीय कंपनियों को प्रोत्साहित कर सकें. मंत्री ने कहा कि इन नियमों में बदलाव इस तरह किया जाएगा कि घरेलू कंपनियों को किसी विदेशी भागीदार के साथ संयुक्त उपक्रम न बनाना पड़े.

गडकरी ने कहा कि यदि कोई कंपनी प्रौद्योगिकी, परामर्श और डिजाइन के लिए भी चीनी कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम बनाती है तो हम उसे काम करने की अनुमति नहीं देंगे. एमएसएमई क्षेत्र के बारे में गडकरी ने कहा कि एक तरफ तो हमें स्थानीय उत्पादन की क्षमता बढ़ानी है.

दूसरी तरफ विदेशी निवेश को भी प्रोत्साहित करना है, लेकिन यह बात स्पष्ट है कि विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देने के निर्णय के बावजूद हम चीनी निवेशकों को अनुमति नहीं देंगे. भारतीय बंदरगाहों पर चीनी सामान को रोके जाने के मुद्दे पर गडकरी ने कहा कि बंदरगाहों पर सामान को ‘मनमाने तरीके’ से नहीं रोका जा रहा है. बल्कि सरकार की कोशिश देश को आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए घरेलू एमएसएमई और घरेलू कारोबारों के लिए अधिक सुधारवादी कदम उठाने की है.

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख के विभिन्न स्थानों पर गत सात हफ्ते से भारत और चीन के सेनाओं के बीच तनाव है और यह तनाव और बढ़ गया जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए. चीनी पक्ष को भी नुकसान हुआ लेकिन उसने इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की.

गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद सरकार ने सशस्त्र बलों को 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी के पास चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी छूट दे दी है. पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में बयान जारी कर कहा था कि तनाव के लिए चीन जिम्मेदार है और जिसने मई की शुरुआत में सभी आपसी सहमति को ताक पर रखकर भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती एलएसी के पास की.

posted by – arbind kumar mishra

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