संसद की स्थाई समिति ने कहा, पठानकोट एयरबेस के पास छिपे हैं आतंकवादी, कर सकते हैं हमला

जम्मू : गृह मामलों पर संसद की स्थाई समिति ने कहा कि संवेदनशील पठानकोट एयरबेस के करीबी गांवों में आतंकवादी छिपे हुए हैं और वे एयरबेस पर नये सिरे से हमला कर सकते हैं. समिति ने कहा कि सरकार को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है और रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण केंद्र की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 21, 2016 6:55 PM

जम्मू : गृह मामलों पर संसद की स्थाई समिति ने कहा कि संवेदनशील पठानकोट एयरबेस के करीबी गांवों में आतंकवादी छिपे हुए हैं और वे एयरबेस पर नये सिरे से हमला कर सकते हैं. समिति ने कहा कि सरकार को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है और रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण केंद्र की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है.

समिति अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास सुरक्षा बंदोबस्त की समीक्षा करने जम्मू पहुंची और इससे पहले उसने पठानकोट का दौरा किया था. समिति के अध्यक्ष पी भट्टाचार्य ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘पठानकोट से लौटने के बाद हमने सरकार के सामने अपने सुझाव रखे और कहा कि पठानकोट पर फिर हमला हो सकता है. गांव वालों ने हमें बताया कि कुछ आतंकवादी अब भी वहां के गांवों में छिपे हुए हैं.’ उन्होंने बताया कि समिति की सिफारिश के बाद सरकार ने सीआरपीएफ, बीएसएफ और सेना को सतर्क किया था और एयरबेस की सुरक्षा उनके हवाले कर दी थी.
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘क्या आपको पता है कि कुछ दिन पहले सरकार ने सीआरपीएफ, बीएसएफ और सेना से वायुसैनिक स्टेशन की सुरक्षा संभालने को कहा था क्योंकि कुछ आतंकवादी वहां छिपे हुए हैं. वे वहां कैसे छिपे हुए हैं, यह पता लगाने का काम मेरा नहीं है, लेकिन जैसी कि हमें ग्रामीणों से जानकारी मिली, हमें बहुत स्पष्ट था कि वे कहीं तो छिपे हैं. हमने इस बारे में सरकार को सूचित कर दिया.’
भारत सरकार द्वारा पाकिस्तानी जांच दल को दो जनवरी को हुए आतंकवादी हमले की जांच के लिए पठानकोट एयरबेस जाने की इजाजत दिये जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों को रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण केंद्र का दौरा करने की अनुमति देने के पक्ष में नहीं थे.
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘समिति पाकिस्तान की इस खुफिया शाखा को यहां बुलाने के भारत सरकार के विचार का समर्थन नहीं करती. किस लिए? लेकिन भारत सरकार की किसी विदेशी नीति के लिए हम उचित मंच नहीं हैं, हम इसे करने या नहीं करने का फैसला नहीं ले सकते.’ पाकिस्तान के पांच सदस्यीय संयुक्त जांच दल ने 27 से 31 मार्च के बीच भारत का दौरा किया था और हमले के सिलसिले में सबूत एकत्रित किये थे.
भट्टाचार्य ने कहा कि नीति संबंधी दिशानिर्देश भारत सरकार को तय करने हैं. उन्होंने कहा, ‘‘समिति ने भारत-बांग्लादेश सीमा और भारत-पाकिस्तान सीमा के सघन दौरे किये और अब हम श्रीनगर की ओर जा रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘हम पठानकोट गये थे जो सबसे अधिक संवेदनशील इलाका है.’ समिति ने कहा कि वह घुसपैठ रोकने के लिए बीएसएफ द्वारा उठाये जा रहे कदमों से संतुष्ट है लेकिन उसने सीमा सुरक्षा बल को पूरी तरह आधुनिक उपकरण मुहैया कराने की वकालत भी की.
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘फिलहाल उन्होंने हमें बताया कि वे किस तरह से घुसपैठ रोकने की कोशिश कर रहे हैं. आप नहीं कह सकते कि आज या कल क्या होने वाला है लेकिन अब तक सबकुछ ठीक है.’ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान द्वारा कंक्रीट के बंकर बनाकर अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोडे जाने के संबंध में पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भारत को बहुत गंभीरता के साथ पाकिस्तान के साथ इस मामले को उठाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि मैं भारत सरकार के रख से वाकिफ हूं, उन्होंने इस मुद्दे पर बहुत कडा रख अख्तियार किया है.’
भट्टाचार्य ने कहा कि जम्मू और देश के अन्य हिस्सों में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पहरा दे रहे बीएसएफ के जवानों को अत्याधुनिक सुविधाओं और उपकरणों की जरुरत है. सीमा पर सैनिकों के सामने आने वाली समस्याओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि समिति अपनी सिफारिशें गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सामने रखेगी और उनसे इनके समाधान की अपेक्षा रखेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल हम अपनी सिफारिशों के बारे में आपको नहीं बता सकते, लेकिन हमने कुछ टिप्पणियां की हैं और उन समस्याओं का समाधान गृह मंत्रालय या विदेश मंत्रालय को करना है. हम इन दस्तावेजों को भारत सरकार को सौंप दें, उसके बाद गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को सभी समस्याओं का समाधान करना होगा, शांति बनाकर रखनी होगी और देश के इस हिस्से में पूरी तरह सौहार्द सुनिश्चित करना होगा.’
भट्टाचार्य ने कहा कि समिति को जम्मू क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास रहने वाले किसानों के सामने आने वाली समस्याओं पर चर्चा करने का अवसर भी मिला और वह भारत सरकार से इन दिक्कतों पर जल्द से जल्द ध्यान देने को कहेगी.

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