आज ट्रेड यूनियन का भारत बंद, जानिए क्या हैं उनकी 12 अहम मांगें

इंटरनेट डेस्क नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के 15 महीनों के कार्यकाल में पहली बार मजदूर संगठनों ने इतनी बडी व राष्ट्रव्यापी हडताल बुलायी है. जगह-जगह बंद समर्थकों व पुलिस बलों में झडप की भी खबर है. इस हडताल में वाम मजदूर संगठनों व कांग्रेस के मजदूर संगठन इंटक का भी समर्थन हासिल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 2, 2015 12:44 PM
इंटरनेट डेस्क
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के 15 महीनों के कार्यकाल में पहली बार मजदूर संगठनों ने इतनी बडी व राष्ट्रव्यापी हडताल बुलायी है. जगह-जगह बंद समर्थकों व पुलिस बलों में झडप की भी खबर है. इस हडताल में वाम मजदूर संगठनों व कांग्रेस के मजदूर संगठन इंटक का भी समर्थन हासिल है. हालांकि इस हडताल में भाजपा का सहोदर मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ शामिल नहीं है, जो नरेंद्र मोदी सरकार के लिए राहत की बात है.
हालांकि पहले मौजूदा संगठनों के अलावा भारतीय मजदूर संघ ने भी इस हडताल में शामिल होने की बात कही थी, लेकि न बाद में उसने नरेंद्र मोदी सरकार को अपनी मांगों के लिए कुछ और समय देने की बात कहते हुए हडताल से स्वयं को अलग कर लिया.
मौजूदा भारत व्यापी बंद में 10 ट्रेड यूनियन शामिल हैं, जिसमें सीटू, एक्टू, एआइसीसीटीयू, एचएमएस, एआइसीटीयूसी, इंटक, यूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एलपीएफ शामिल हैं. इन संगठनों के नेतृत्व में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के 15 करोड वर्कर हडताल पर हैं. इस हडताल से सबसे ज्यादा जो सेक्टर प्रभावित हो रहे हैं, उसमें कोयला, बैंक, इंश्योरेंस, पोस्ट ऑफिस, कपडा, तेल उत्पादन शामिल हैं.
हडताल पर जाने का इन ट्रेड यूनियनों ने तब एलान किया, जब पिछले सप्ताह उनकी सरकार से वार्ता टूट गयी थी. सरकार की ओर से वित्तमंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में वरिष्ठ मंत्रियों का एक समूह वार्ता कर रहा था. आइए जानें इन ट्रेड यूनियनों की हडताल पर जानें की ये हैं 12 अहम वजह :
1. ट्रेड यूनियन श्रम कानून में सरकार के प्रस्तावित संशोधन का विरोध कर रहे हैं. ट्रेन यूनियन मांग कर रहे हैं सरकार श्रम कानूनों में सुधार से अपने कदम पीछे खींच ले.
2. सरकार के द्वारा सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश का भी श्रम संगठन विरोध कर रहे हैं. सरकार ने हाल के दिनों में कोयला सेक्टर में विनिवेश का एलान किया है. श्रम संगठनों की मांग है कि सरकार ऐसा नहीं करे.
3. श्रम यूनियन मांग कर रहे हैं कि सरकार बोनस सिलिंग को उपर करे. इससे कर्मचारियों को बोनस का अधिक लाभ होगा.
4. श्रम संगठन स्वास्थ्य बीमा व प्रोविडेंट फंड का कवर दायरा बढाने की मांग कर रहे हैं. यूनियन चाहते हैं कि इसके दायरे में कंस्ट्रक्शन वर्कर व आंगनबाडी में काम करने वाली महिलाएं भी लायी जायें.
5. सरकार ऐसे कदम उठाये जिससे देश में अधिक से अधिक रोजगार का सृजन हो सके.
6. सभी श्रम कानून को मजबूती से लागू किया जाये और यह सुनिश्चित किया जाये कि श्रम कानूनों का उल्लंघन नहीं हो.
7. सभी श्रमिकों के लिए यूनिवर्सल सोशल सिक्यूरिटी कवरेज हो.
8. न्यूनतम वेतनमान 15 हजार रुपये सुनिश्चित किया जाये.
9. यह सुनिश्चित किया जाये कि किसी भी श्रमिक की पेंशन तीन हजार रुपये से कम नहीं हो.
10. रेलवे व इंश्योरेंसे सेक्टर में एफडीआइ पर रोक लगायी जाये.
11. ट्रेड यूनियनों का अनिवार्यत: आवेदन देने के 45 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन किया जाये, जैसा कि भारतीय मजदूर संगठन के कन्वेंशन में तय हुआ था.
12. पीडीएस सिस्टम को मजबूत बनाया जाये, ताकि मूल्य वृद्धि को नियंत्रित किया जाय सके. इसके लिए आवश्यक उपाय किये जाये. कमोडिटी मार्केट के अनुमान आधारित कारोबार पर रोक लगायी जाये.

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