… तो लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के समर्थन में सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे थे हार्दिक पटेल?

विष्णु कुमार मैदान में विशाल जनसमूह, बसों पर चढे युवा, हल उठाये बुजुर्ग और इनकलाब का नारा लगाते युवा, पुरुष और महिलाएं. कुछ-कुछ अन्ना आंदोलन के 2011-12 के आंदोलन जैसा दृश्य. पर, आंदोलन की आत्मा अलग. यह दृश्य दिल्ली से 926 किलोमीटर दूर अहमदाबाद का है. वही,अहमदाबादजहां से डेढ साल पहले तक हर खास मौके […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 25, 2015 5:42 PM
विष्णु कुमार
मैदान में विशाल जनसमूह, बसों पर चढे युवा, हल उठाये बुजुर्ग और इनकलाब का नारा लगाते युवा, पुरुष और महिलाएं. कुछ-कुछ अन्ना आंदोलन के 2011-12 के आंदोलन जैसा दृश्य. पर, आंदोलन की आत्मा अलग. यह दृश्य दिल्ली से 926 किलोमीटर दूर अहमदाबाद का है. वही,अहमदाबादजहां से डेढ साल पहले तक हर खास मौके पर नरेंद्र मोदी हुंकार भरा करते थे. पर, अब वहां से एक युवा पटेल हुंकार भर रहा है. उस 22-24 साल के पटेल युवा का नाम है हार्दिक पटेल.

https://twitter.com/ca34581e6d09443/status/460299449961832449

दिलचस्प यह कि हार्दिक पटेल ने अपने मौजूदा जातीय आंदोलन और शायद भविष्य की राजनीति को संवारने के लिए प्रतीक भी जोरदार चुने हैं. मंच पर विशालकाय सरदार पटेल की प्रतिमा तो, जुबान पर नीतीश कुमार व चंद्रबाबू नायडू जैसे मौजूदा दौर के प्रखर नेता का नाम. हार्दिक पटेल खुद को सरदार पटेल का वंशज बताते हैं, तो नीतीश कुमार व चंद्रबाबू नायडू को अपना बताते हैं. उनका तात्पर्य अपनी जाति से है. हार्दिक कहते हैं हम देश में 27 करोड हैं और हमारे 170 सांसद हैं. अगर, हमें मांगने पर आरक्षण नहीं दिया तो हम छीन कर लेंगे और 2017 में गुजरात (विधानसभा चुनाव) में कमल नहीं खिलने देंगे. उनके इस तेवर ने न सिर्फ गुजरात की उन्हीं के समुदाय से आने वाली सीएम आनंदीबेन पटेल की पेशानी पर बल ला दिये हैं, बल्कि अपने गृहनगर अहमदाबाद से दूर दिल्ली में देश और भाजपा की बागडोर संभाल रहे नरेंद्र मोदी व अमित शाह की चीर स्थायी जोडी को भी सोचने को मजबूर कर दिया होगा.
हार्दिक पटेल के आंदोलन पर सवाल
हार्दिक पटेल ने पटेलों के लिए आरक्षण की मांग करने वाली रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लग कहते हैं कि हमारा आंदोलन भाजपा प्रेरित है, तो कुल लोग कहते हैं कि कांग्रेस समर्थित हैं. कुछ लोग कहते हैं कि यह आम आदमी पार्टी से प्रायोजित है. लेकिन, हमारा आंदोलन गैर राजनीतिक हैं. हमने केंद्र में अपने-अपने प्रतिनिधि चुने हैं, वे सिर्फ संविधान संशोधन या कानून बनाने के लिए नहीं हैं, बल्कि अपने समुदाय की सेवा के लिए भी हैं.
यानी बेलौस हार्दिक पटेल आंदोलन के बहाने मुख्य धारा की राजनीति में जातीय छौंक लगाते हैं. उनकी राजनीति पर भाजपा-संघ समर्थकों द्वारा भी सवाल उठाया जा रहा है. ट्विटर पर भी उनके आंदोलन पर सवाल खडे किये जा रहे हैं. ट्विटर पर उनके आंदोलन को अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी प्रायोजित बताया जा रहा है. जैसे, भाजपा-संघ समर्थक तेंजिदर पाल बग्गा ने एक तसीवर ट्वीट की है, जिसमें अरविंद केजरीवाल की गाडी को हार्दिक पटेल ड्राइव करते दिखते हैं. बहरहाल, रातोंरात लाखों की संख्या में हार्दिक पटेल के समर्थन में लोगों के जुटने ने सबको चौंका दिया है
पुराने ट्वीट के कारण विवाद में आये हार्दिक पटेल
पर, हार्दिक पटेल के कुछ पुराने ट्वीट ने उन्हें विवाद में ला दिया है. उनके एक ट्विटर हैंडल पर लोकसभा चुनाव के दौरान उनके लिखे स्लोगन ने उन्हें विवाद में ला दिया है. उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान ट्वीट किया है : सपने सच होंगे आम आदमी पार्टी को लाना है. इसी तरह वे भाजपा व संघ परिवार की कई ट्वीट में आलोचना करते हुए भी दिखते हैं. हार्दिक पटेल ने उस समय आम आदमी पार्टी में रहीं शाजिया इल्मी (जो अब भाजपा में हैं) के किसी चुनावी कार्यक्रम से संबंधित ट्वीट को री ट्वीट भी किया था. इतना ही नहीं वे भाजपा से यह सवाल भी पूछते हैं कि मंदिर निर्माण की तारीख बताओ, तभी भाजपा को सरकार लायेंगे.
नरेंद्र मोदी निशाने पर
हार्दिक पटेल नरेंद्र मोदी पर निशाना साधना नहीं भूलते. वे सवाल पूछते हैं कि सरदार की 180 मीटर स्टच्यू ऑफ यूनिटी बनवा रहे हैं, लेकिन अपने दिल के भीतर देखिए कि क्या इसके भीतर अब भी सरदार पटेल के मूल्य हैं. सरदार पटेल, ने कहा कि हम पटेल लोग मोदी साहब के सपने सबका साथ, सबका विकास को पूरा करने के लिए आरक्षिण श्रेणी में शामिल होन चाहते हैं. हार्दिक ने कहा कि अगर देश के सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री बने होते, तो चीजें अलग होतीं. हार्दिक ने अपनी रैली में किसानों की आत्महत्या को भी मुद्दा बनाया और कहा कि वे हमारे भाई थे और भविष्य में किसानों ने आत्महत्या की तो इसके रोष का देश को सामना करना पडेगा. हार्दिक ने अपनी रैली में चेतावनी दी कि 1985 में हमने गुजरात में कांग्रेस को उखाड दिया था. आज भाजपा है. अगर हमें हमारा हक नहीं मिला, तो कभी कीचड नहीं खिलेगा. यदि आप हमारे हित की बात करोगे तभी हम आपका कमल खिलाएंगे. उस समय पटेलों के आंदोलन के कारण ही मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी को इस्तीफा देना पडा था.

Next Article

Exit mobile version