जम्मू कश्मीर में सरकार : मुफ्ती मोहम्मद सईद ने की पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात, रविवार को लेंगे मुख्‍यमंत्री पद की शपथ

नयी दिल्ली: पीडीपी और भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने के लिए अपने मतभेदों को दूर कर लिया है और साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर सहमति बन गयी है. पीडीपी के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद आगामी रविवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.व हीं, भाजपा के निर्मल सिंह राज्य के उपमुख्यमंत्री बनेंगे. राज्य […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 26, 2015 4:59 PM

नयी दिल्ली: पीडीपी और भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने के लिए अपने मतभेदों को दूर कर लिया है और साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर सहमति बन गयी है. पीडीपी के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद आगामी रविवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.व हीं, भाजपा के निर्मल सिंह राज्य के उपमुख्यमंत्री बनेंगे. राज्य कैबिनेट में पीडीपी के 13 और भाजपा के 12 मंत्री शामिल होंगे. मालूम हो कि 87 सदस्यों वाली जम्मू कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के पास 28 व भाजपा के पास 25 विधायक हैं.

पीडीपी के संस्थापक सईद गुरूवार शाम यहां पहुंचे और आज वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने 7 आरसीआर पहुंचे. दोनों नेताओं की मुलाकात सईद के जम्मू-कश्मीर का फिर से मुख्यमंत्री बनने की दिशा में आखिरी कदम है. इसके साथ ही भाजपा इस संवेदनशील राज्य में पहली बार सत्ता में साङोदारी करेगी.पीडीपी के संरक्षक ने यहां पहुंचने पर कहा कि साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर सहमति बन गई है और अब वह कल प्रधानमंत्री से मुलाकात करने जा रहे हैं.

सईद ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 जैसे विवादास्पद मुद्दों पर सहमति के बारे में बात करने से इंकार किया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन मुद्दों पर बातचीत नहीं करुंगा. यह (साझा न्यूनतम कार्यक्रम) लिखित में सामने आएगा और देश की संपूर्ण जनता देखेगी कि हम क्या कर रहे हैं.’’ माना जा रहा है कि सईद जम्मू में आयोजित होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रित करेंगे.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुफ्ती सईद की कल ही मुलाकात होने वाली थी लेकिन कल किसी कारणवश सईद की उनसे मुलाकात नहीं हो पायी. इससे ऐसी अटकलें लगायी जा रही थी कि जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने के आधार बन रहे प्रमुख मुद्दों को लेकर दोनों पार्टियों के बीच आखिरी पलों में कुछ अडचनें आ गई हैं.

पीडीपी सूत्रों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370, सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) और पश्चिम पाकिस्तान से आकर बसे शरणार्थियों को राज्य का स्थायी निवासी होने का दर्जा देने सहित सभी मुद्दों पर दोनों पार्टियों के बीच व्यापक सहमति बनी है और नई सरकार एक मार्च को शपथ-ग्रहण कर सकती है. मुफ्ती मोहम्मद सईद पूरे छह साल के कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे.

विपक्षी पार्टियां नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने कहा कि पीडीपी और भाजपा गठबंधन सरकार के गठन लिए बातचीत को हफ्तों खींच रही हैं जबकि दोनों पार्टियां पहले ही आम सहमति बना चुकी हैं और राज्य के लोगों को बेवकूफ बना रही है. पीडीपी संरक्षक और प्रधानमंत्री की मुलाकात अब कल शुक्रवार सुबह होगी, जिसके बाद सरकार गठन की तारीख का ऐलान हो सकता है.

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के करीब दो महीने बाद यह मुलाकात होगी. मोदी और 79 साल के सईद की मुलाकात में शासन चलाने के लिए तैयार किए गए एक ‘‘विस्तृत दस्तावेज’’ को अंतिम रुप दिया जा सकता है और उसके बाद इसे दोनों पार्टियों द्वारा राज्य में जारी किया जाएगा.

जम्मू में शपथ-ग्रहण के लिए दोनों पार्टियां एक मार्च को ‘शुभ दिन’ मान रही हैं, लेकिन पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता नईम अख्तर ने कहा, ‘‘पीडीपी संरक्षक और प्रधानमंत्री के बीच मुलाकात के बाद ही शपथ-ग्रहण पर अंतिम निर्णय होगा.’’ मुलाकात के दौरान सईद मोदी को शपथ-ग्रहण समारोह के लिए आमंत्रित कर सकते हैं. ऐसा पहली बार है कि भाजपा इस संवेदनशील राज्य की सरकार में शामिल होगी.

सईद और मोदी की मुलाकात से पहले दोनों पार्टियां कल कैबिनेट के स्वरुप को अंतिम रुप देने के लिए बैठक कर सकती हैं. भाजपा नेता निर्मल सिंह को उप-मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. सईद के पास गृह विभाग का भी प्रभार रहेगा और पीडीपी के नवनिर्वाचित विधायक हसीब द्राबू नए वित्त मंत्री हो सकते हैं. दोनों पार्टियों के अध्यक्ष -पीडीपी की महबूबा मुफ्ती और भाजपा के अमित शाह – ने कल यहां मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने राज्य में गठबंधन सरकार के गठन की घोषणा की थी.

शाह ने बैठक के बाद ट्वीट कर कहा था कि सुशासन एवं विकास सुनिश्चित कर भाजपा-पीडीपी की सरकार जम्मू-कश्मीर को नई उंचाइयों तक ले जाएगी. बीते 23 दिसंबर को आए चुनाव नतीजों में खंडित जनादेश आया था. पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बडी पार्टी बनी थी जबकि भाजपा को 25 सीटें मिली थी. नेशनल कांफ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटों से संतोष करना पडा था.

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