नरेंद्र के देवेंद्र ने संभाली महाराष्‍ट्र की कमान,पंकजा मुंडे को बनाया गया कैबिनेट मंत्री

मुंबई : महाराष्ट्र में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री के रूप में देवेन्द्र गंगाधर राव फडणवीस ने शपथ ली. राज्यपाल विद्यासागर राव ने वानखेडे स्टेडियम में आयोजित भव्य समारोह में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी. फडणवीस के साथ सात कैबिनेट मंत्रियों और दो राज्यमंत्रियों ने भी शपथ ली. राज्य के नये कैबिनेट मंत्रियों के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 31, 2014 7:09 AM

मुंबई : महाराष्ट्र में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री के रूप में देवेन्द्र गंगाधर राव फडणवीस ने शपथ ली. राज्यपाल विद्यासागर राव ने वानखेडे स्टेडियम में आयोजित भव्य समारोह में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी. फडणवीस के साथ सात कैबिनेट मंत्रियों और दो राज्यमंत्रियों ने भी शपथ ली.

राज्य के नये कैबिनेट मंत्रियों के तौर पर एकनाथ खडसे, सुधीर मुनगंटीवार, विनोद तावडे, पंकजा मुंडे (सभी भाजपा की प्रदेश कोर कमेटी के सदस्य) तथा प्रकाश मेहता, चंद्रकांत पाटिल और विष्णु सवारा ने शपथ ली. राज्यमंत्रियों में दिलीप कांबले और विद्या ठाकुर हैं.शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से आखिरी समय में फोन किये जाने के बाद समारोह में भाग लिया.

शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी, वेंकैया नायडू, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावडेकर और राधामोहन सिंह के साथ छत्तीसगढ, गोवा, गुजरात तथा राजस्थान के मुख्यमंत्रियों क्रमश: रमन सिंह, मनोहर पार्रिकर, आनंदीबेन पटेल और वसुंधरा राजे ने शिरकत की.

सहयोगी दलों के नेताओं में पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू उपस्थित थे.कार्यक्रम में शामिल होने के लिएकई क्षेत्र के दिग्गजों को न्योता दिया गया है. लेकिनमनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी व्यस्तता के कारण कार्यक्रम में शामिल होने में असमर्थता जतायी है.महाराष्ट्र में पहली बार भाजपा की सरकार बनी है.

शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए. लगभग 40 हजार लोगों की उपस्थिति में होनेवाले इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्यों के अलावा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, अभिनेता, बड़े कारोबारी और अन्य जानी-मानी हस्तियां शामिल हुई. उल्लेखनीय है कि 80 के दशक में मुंबई में ही आयोजित एक कार्यक्रम दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने समुंदर में खिलेगा कमल की घोषणा की थी. अटल का वह यह सपना आज सच हो गया. यही वजह है कि वानखेडे स्टेडियम के पास समुंदर के किनारे कमल के फूल के 40 कटआउट लगाये गये.

* सभी की नजरें मोदी और उद्धव पर

महाराष्‍ट्र में आज भाजपा के पहले मुख्‍यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस शपथ ले रहे थे, लेकिन लोगों की नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर थीं. दोनों नेताओं ने समोरह में न केवल एक-दूसरे से हाथ मिलाया, बल्कि कुशलक्षेम भी पूछे. दोनों की इस भेंट से संभावना बन रही है कि एक बार फिर से भाजपा और शिवसेना के बीच गंठबंधन बन सकती है और 25 साल की दोस्‍ती फिर से जिवंत हो जाएगी.

खर्चे पर सवाल

उधर, शपथ ग्रहण समारोह को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि इसमें करोडों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. यह पैसा कहां से आ रहा है, इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है.

सरकार में शिवसेना को जगह नहीं-
शपथग्रहण समारोह में शिवसेना के शामिल होने की चर्चा शुरू से नहीं थी. शिवसेना ने भी शपथग्रहण में शामिल होने से इनकार कर दिया था लेकिन बाद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के मनाने पर उद्धव शामिल होने के लिएराजी हुए और कार्यक्रम में शामिल भी हुए

एनसीपी के समर्थन से उठेगा सवाल

शिव सेना भाजपा के साथ गंठबंधन को लेकर अभी भी अनिश्चितता के दौर से गुजर रही शिव सेना ने 25 साल तक सहयोगी रहे भाजपा को आगाह किया कि राज्य में सरकार गठन की शुरुआत में ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का समर्थन लेने से उसे बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा होने से इस सरकार की ‘पवित्रता’ पर सवाल उठेगा. शिव सेना को साथ लिये बिना भाजपा द्वारा राज्य सरकार के गठन से एक दिन पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाले इस दल ने अपने पूर्व सहयोगी को आगाह करने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी और मनोनीत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रशंसा की और कहा कि महाराष्ट्र अच्छे दिन आने की उम्मीद कर सकता है. शिव सेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया, ‘(शरद) पवार ने मांगे बिना आपको समर्थन दिया है, लेकिन क्या (देवेंद्र) फडणवीस की सरकार पवार के समर्थन से चलेगी?’ सरकार गठन में एनसीपी के परोक्ष समर्थन पर एतराज जताते हुए इसमें कहा गया, ‘भाजपा के सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने की है. ये ठीक है कि आप कह रहे हैं कि आप अल्पमत सरकार बना लेंगे और उसे चला भी लेंगे. लेकिन, ऐसी सरकार चलाना संविधान के खिलाफ है.’ संपादकीय में कहा गया, ‘किसी भी ऐरे-गैरे के समर्थन से महाराष्अ्र का शासन नहीं चलना चाहिए.’

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