अब मोदी की तारीफ पर घिरे थरूर कब तक कांग्रेस में रहेंगे?

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान का नेतृत्व करने के लिए तैयार हुए शशि थरूर कांग्रेस नेताओं द्वारा खुद की आलोचना से आहत हैं. स्वच्छता जैसे पवित्र कार्य करने के लिए मोदी के साथ जाने की उनकी स्वीकृति पर भी उनकी पार्टी में हो रही राजनीति से दुखी थरूर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 7, 2014 3:59 PM
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान का नेतृत्व करने के लिए तैयार हुए शशि थरूर कांग्रेस नेताओं द्वारा खुद की आलोचना से आहत हैं. स्वच्छता जैसे पवित्र कार्य करने के लिए मोदी के साथ जाने की उनकी स्वीकृति पर भी उनकी पार्टी में हो रही राजनीति से दुखी थरूर ने तिरुअनंतपुरम में एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि उन्हें पार्टी में बाहरी व्यक्ति के रूप में देखा जाता है और पार्टी की केरल इकाई के जो लोग उन्हें कथित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के लिए दंडित किए जाने की मांग कर रहे हैं, उन्होंने न उनकी टिप्पणी को समझा और न ही उनसे बात करने की कोशिश की है.
थरूर ने कहा कि शायद इस बात को हजम करने में उन्हें दिक्कत होती है कि मैं कौन हूं और खुद को कैसे रखता हूं..मेरे द्वारा की गयी मोदी की आलोचना उनकी तारीफ से कहीं ज्यादा है, क्योंकि राजनीति में कोई अंतर समझता ही नहीं. उल्लेखनीय है उनके द्वारा मोदी की तारीफ किये जाने के बाद केरल कांग्रेस के नेताओं उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने के लिए कहा था. कांग्रेस की दैनिक माने जाने वाले वीक्षणम ने भी उनकी निष्ठा पर संदेह जताया था. इस दैनिक में लिखे कटाक्षपूर्ण संपादकीय में किसी के नाम का उल्लेख किये बिना लिखा गया है कि जो लोग सोशल मीडिया के जरिये मोदी को प्रेमपत्र लिखते हैं और संपादकीय पन्नों पर खुशामद से भरे लेख लिखते हैं, उनकी वफादारी पर संदेह किया जायेगा.
अखबार के इस कटाक्ष को थरूर से जोड़ कर देखा जा रहा है. उनके गृह राज्य केरल में पार्टी इकाई की ओर से उनकी निष्ठा पर सवाल उठा दिया गया है. वह भी तब जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के आमंत्रण पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, बल्कि कुछ दिन उस पर विचार करने के बाद ही निर्णय लिया कि वे स्वच्छता अभियान का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं.
अपनों की आलोचना से आहत थरूर के सामने भविष्य की रणनीति तय करने का भी सवाल है. जिस तरह की स्थितियां बनी हैं, उसमें यह कहना मुश्किल है कि वे कांग्रेस के साथ कितने समय तक रहेंगे. ध्यान रहे थरूर कांग्रेस विरोधी लहर में भी इस बार तिरुअनंतपुरम से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं. अंतरराष्ट्रीय रिश्तों व कूटनीति के जानकार इस सेलिब्रिटी राजनेता की जरूरत तो कांग्रेस को भी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वे अपमानजनक स्थितियों में कांग्रेस में लंबे समय तक टिके रहेंगे?

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