Delhi Assembly Election 2020: चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी उम्मीदवारों का छलक रहा दर्द, कह दी ये बड़ी बात

Delhi Assembly Election 2020: दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की कई वजह रही होगी लेकिन एक ऐसा कारण भी है जिसकी चर्चा पार्टी के उम्मीदवार कर रहे हैं. एक बार फिर खाता खोलने में नाकाम रही कांग्रेस के कई उम्मीदवारों ने कहा है कि पार्टी के चुनावी प्रबंधकों से बार- बार आग्रह करने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 16, 2020 11:41 AM

Delhi Assembly Election 2020: दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की कई वजह रही होगी लेकिन एक ऐसा कारण भी है जिसकी चर्चा पार्टी के उम्मीदवार कर रहे हैं. एक बार फिर खाता खोलने में नाकाम रही कांग्रेस के कई उम्मीदवारों ने कहा है कि पार्टी के चुनावी प्रबंधकों से बार- बार आग्रह करने के बावजूद उनके यहां नामी स्टार प्रचारक नहीं भेजे गये. हालांकि, चुनाव प्रबंधन से जुड़े कांग्रेस नेताओं का कहना है कि समय के अभाव के चलते हर उम्मीदवार के यहां बड़े स्टार प्रचारकों को भेजना संभव नहीं था.

दिल्ली चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रहे करीब 10 नेताओं से बातचीत की और पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर इनमें से लगभग सभी लोगों ने यही शिकायत की कि पार्टी की ओर से स्टार प्रचारक भेजने की उनकी मांग पूरी नहीं की गयी. ज्यादातर उम्मीदवारों ने अपने यहां राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा नवजोत सिंह सिद्धू, शत्रुघ्न सिन्हा, नगमा, राज बब्बर , पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कुछ अन्य नेताओं को अपने क्षेत्र में प्रचार के लिए बुलाने का आग्रह किया था.

चुनाव प्रचार के आखिरी हफ्ते में राहुल गांधी ने जंगपुरा, संगम विहार, कोंडली और चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र में प्रचार किया. प्रियंका उनके साथ संगम विहार और चांदनी चौक की सभाओं में शामिल हुईं. इस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन इतना निराशाजनक रहा कि वह न सिर्फ खाता खोलने में विफल रही, बल्कि उसका वोट प्रतिशत भी गिरकर पांच फीसदी से नीचे चला गया. यही नहीं, 63 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली की एक विधानसभा सीट से उम्मीदवार रहे एक नेता ने कहा कि मैंने कई बार आग्रह किया कि अगर मेरे क्षेत्र में राहुल जी या प्रियंका जी नहीं आ सकते तो फिर सिद्धू, नगमा, शत्रुघ्न सिन्हा, अशोक गहलोत और भूपेश बघेल को ही भेजा जाए. लेकिन मेरे यहां इनमें से किसी को भी नहीं भेजा गया. उन्होंने कहा कि मतदान से तीन दिन पहले मुझे सूचित किया गया कि कांग्रेस के एक राष्ट्रीय प्रवक्ता मेरे यहां प्रचार के लिए आएंगे. लेकिन बाद में वह भी नहीं आए.

इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर उतरीं एक महिला उम्मीदवार ने कहा कि मैंने चुनाव प्रबंधन से जुड़े नेताओं से कई बार आग्रह किया कि मेरे यहां प्रियंका जी को भेजा जाए और अगर वह नहीं आ पाती हैं तो फिर कुछ चर्चित चेहरों को प्रचार के लिए उतारा जाए. लेकिन मेरी नहीं सुनी गयी. दिल्ली की एक आरक्षित सीट से उम्मीदवार रहे एक नेता ने बताया कि मैंने अपने यहां मीरा कुमार, भूपेश बघेल और सिद्धू को भेजने का आग्रह किया था, लेकिन मेरे यहां प्रचार के लिए कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा.

उम्मीदवारों की इस शिकायत के बारे में पूछे जाने पर चुनाव पर प्रबंधन से जुड़े रहे एक नेता ने कहा कि जितने नेताओं का कार्यक्रम बना हमने उन्हें कई जगहों पर भेजा. लेकिन कम समय में हर उम्मीदवार के यहां उसकी मांग के मुताबिक स्टार प्रचारक भेजना संभव नहीं था. कई कांग्रेस उम्मीदवारों की यह शिकायत भी है कि दिल्ली कांग्रेस के कई नामी चेहरे या तो अपने क्षेत्र या फिर बेटे-बेटियों के प्रचार तक सीमित रह गये. इस बार तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की पुत्री शिवानी चोपड़ा कालकाजी, पूर्व मंत्री योगानन्द शास्त्री की पुत्री प्रियंका सिंह आरके पुरम , दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हसन अहमद के पुत्र अली मेहंदी मुस्तफाबाद और चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद संगम विहार से उम्मीदवार थे. इन सभी की जमानत जब्त हो गयी.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने इस पर नाराजगी जतायी थी कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पुत्रों के प्रचार में ज्यादा ताकत झोंकी और अन्य सीटों पर ध्यान नहीं दे पाये.

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