क्या है दिल्ली की जनता का मूड, क्या कहते हैं फुटपाथ पर ठेला लगाने वाले दुकानदार

दिल्‍ली से मिथिलेश झा/उत्‍पल कांत की रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 का प्रचार अपने चरम पर है. सभी पार्टियां अपने-अपने वादे और अपने-अपने दावों के साथ जनता के बीच जा रही है. दावों और वादों के बीच हमने लोगों के मुद्दे जानने की कोशिश की. देश की धड़कन दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में फुटपाथ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 23, 2020 4:24 PM

दिल्‍ली से मिथिलेश झा/उत्‍पल कांत की रिपोर्ट

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 का प्रचार अपने चरम पर है. सभी पार्टियां अपने-अपने वादे और अपने-अपने दावों के साथ जनता के बीच जा रही है. दावों और वादों के बीच हमने लोगों के मुद्दे जानने की कोशिश की. देश की धड़कन दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में फुटपाथ पर गुमटी में खाने-पीने की चीजें बेचकर अपना जीवन बसर करने वालों से हमारी बात हुई. जैसे ही उन्हें मालूम हुआ कि हम मीडिया वाले हैं, लोग किनारे होने लगे. स्पष्ट कह दिया कि राजनीति पर उन्हें कोई बात नहीं करनी.

काफी मशक्कत के बाद कुछ लोग हमसे बात करने के लिए तैयार हुए. सूर्यकिरण बिल्डिंग के पास अपनी दुकान चलाने वाले सुनील जोशी ने कैमरे पर अपने गुस्से का खुलकर इजहार किया. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल मुफ्त में चीजें देने की बात करते हैं. क्या दिल्ली के लोग कमाते नहीं हैं कि सरकार उन्हें हर चीज फ्री में देने का लालच दे रही है. अरविंद केजरीवाल की सरकार ने पानी फ्री कर दिया. लेकिन, उस फ्री के पानी को साफ करने में 800 रुपये तक खर्च हो जाते हैं. ऐसी फ्री की चीज का क्या मतलब!

सुनील जोशी ने कहा कि फ्री की चीजें देने से बढ़िया है कि आप हर चीज के पैसे लो. लेकिन, लोगों को बेहतर सुविधाएं दो. कोई फ्री की चीज नहीं चाहता. जब आप फ्री में कोई चीज दोगे, तो कहीं न कहीं से पैसे वसूलोगे. कोई भी सरकार अपने घर से किसी को कुछ नहीं देती. देना भी नहीं चाहिए. सुनील जोशी ने कहा कि दिल्ली का हर बंदा टैक्स देता है. यदि कोई भिखारी है, तो वह भी अपने हिस्से का टैक्स भरता है. उसे भीख के अलावा कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता. उस भीख के पैसे से वह जो कुछ भी खरीदता है, उसका टैक्स लगता है. इस तरह परोक्ष रूप से भिखारी भी टैक्स भरता है.

पास में ही एक गुमटी में पराठा-चावल और अन्य खाद्य पदार्थ बेचने वाले एक दुकानदार ने अपना नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि सरकारों के बदलने से उनकी किस्मत नहीं बदलेगी. अब तक कुछ नहीं बदला. 1980 में दुकान की लाइसेंस के लिए हमें 36 रुपये देने पड़ते थे. बाद में जब दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनी, तो उन्होंने इसे 360 रुपये कर दिया. फिर शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं. उनके शासनकाल में यह 360 रुपये बढ़कर 800 रुपये हो गये. जब अरविंद केजरीवाल की सरकार बनी, तो इस 800 रुपये को बढ़ाकर 3600 रुपये कर दिया.

बुजुर्ग दुकानदार ने बताया कि पहले हम हर महीने किस्त में टैक्स पेमेंट कर देते थे. आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने साल भर का टैक्स एक साथ जमा करने का फरमान सुना दिया. उन्होंने कहा कि दिल्ली में सरकार किसी की भी हो, ठेला-गुमटी पर दुकानदारी करने वालों की किस्मत नहीं बदलने वाली. पुलिस पैसे लेती है, सो अलग. पहले 100-200 रुपये लेते थे, अब तो 1,000 रुपये से कम की कोई बात ही नहीं करता. इसलिए कहता हूं कि सरकार किसी की भी हो, गरीबों की कोई नहीं सुनता. हमारी समस्या किसी भी सूरत में कम नहीं होने वाली.

समोसा-चाट की दुकान चलाने वाले सुशील कुमार खंडेलवाल उत्तर प्रदेश से आकर दिल्ली में बस गये हैं. अरविंद केजरीवाल की सरकार से वह बहुत खुश हैं. बिजली, पानी फ्री में मिल रहा है. महिलाओं को बस में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जा रही है. लोगों को और क्या चाहिए. यह पूछने पर कि उनके पास के एक दुकानदार ने बताया है कि लोगों को गंदा पानी मिलता है, सुशील ने कहा कि एक बार में सारी चीजें ठीक नहीं हो सकतीं. केजरीवाल सब कुछ ठीक कर रहे हैं. मैं तो उन्हें ही वोट दूंगा. वही सब कुछ ठीक करेंगे. केजरीवाल पर पूरा भरोसा है.

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