मोदी से लिया पंगा तो बेनीवाल कर दी गयीं बर्खास्त!
बेनीवाल की बर्खास्तगी पर हंगामा क्यों बरपा नयी दिल्ली: मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल को उनका कार्यकाल समाप्त होने से महज दो महीने पहले बरखास्त कर दिया गया.गुजरात के राज्यपाल के रुप में उनके और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के रिश्ते कडवाहट भरे थे. लोकायुक्त की नियुक्ति और कुछ अन्य विधेयकों को लेकर दोनों के […]
बेनीवाल की बर्खास्तगी पर हंगामा क्यों बरपा
नयी दिल्ली: मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल को उनका कार्यकाल समाप्त होने से महज दो महीने पहले बरखास्त कर दिया गया.गुजरात के राज्यपाल के रुप में उनके और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के रिश्ते कडवाहट भरे थे. लोकायुक्त की नियुक्ति और कुछ अन्य विधेयकों को लेकर दोनों के बीच टकराव हुआ था.
राष्ट्रपति भवन की ओर से आज रात जारी सूचना के अनुसार, ‘‘राष्ट्रपति का निर्देश है कि डॉक्टर कमला अब मिजोरम की राज्यपाल नहीं रहीं.’’ अहमदाबाद से एजल पहुंचने के महज एक महीने बाद यह कदम उठाया गया है.सूचना के अनुसार, स्थाई व्यवस्था होने तक मणिपुर के राज्यपाल वी. के. दुग्गल को मिजोरम के राज्यपाल का प्रभार सौंपा गया है.बर्खास्तगी के आदेश के साथ ही राजस्थान से आने वाली 87 वर्षीय कांग्रेस नेता का राज्यपाल के रुप में कार्यकाल समाप्त हो गया है.
गुजरात के राज्यपाल के रुप में मोदी से तनातनी के बीच बेनीवाल ने न्यायमूर्ति आर. ए. मेहता (अवकाश प्राप्त) को गुजरात का लोकायुक्त नियुक्त किया जिसके खिलाफ राज्य ने पहले उच्च न्यायालय में फिर उच्चतम न्यायालय में अपील की. अदालत ने इसे बरकरार रखा. हालांकि न्यायमूर्ति मेहता ने पद स्वीकार नहीं किया था और मोदी सरकार ने नया नाम तय किया था.
इसके अलावा कमला बेनीवाल ने राज्य विधानसभा में पारित विभिन्न विधेयकों को भी रोक दिया था. उनमें से एक स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के संबंध में था.
बेनीवाल को पहले अक्तूबर 2009 में त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त किया गया. वह पूर्वोत्तर राज्यों में पहली महिला राज्यपाल थीं. हालांकि एक महीने बाद ही उन्हें गुजरात का राज्यपाल बना दिया गया था.
पुडुचेरी के उपराज्यपाल वीरेन्द्र कटारिया को हटाए जाने के बाद बेनीवाल बर्खास्त की जाने वाली दूसरी राज्यपाल हैं. मोदी सरकार बनते ही राज्यपालों से इस्तीफा देने को कहा गया था, हालांकि उनमें से कुछ ने इस्तीफा दिया और कुछ अभी भी सरकार में बने हुए हैं.
दिलचस्प बात यह है कि संप्रग सरकार द्वारा नियुक्त अन्य कांग्रेस नेता मार्गेट अल्वा को राजस्थान की राज्यपाल के रुप में अपना कार्यकाल पूरा करने का अवसर दिया गया.