मायावती ने मुलायम सिंह के खिलाफ वापस लिया 24 साल पुराना गेस्ट हाउस केस, जानें क्या हुआ था उस रात…

बसपा सुप्रीमो मायावती ने 1995 के लखनऊ गेस्ट हाउस कांड को लेकर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ किया गया केस वापस ले लिया है. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने इसकी पुष्टि की है. रिपोर्ट्सकीमानें, तो लोकसभा चुनाव से पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उनसे केस वापस लेने का अनुरोध […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 8, 2019 5:12 PM

बसपा सुप्रीमो मायावती ने 1995 के लखनऊ गेस्ट हाउस कांड को लेकर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ किया गया केस वापस ले लिया है. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने इसकी पुष्टि की है. रिपोर्ट्सकीमानें, तो लोकसभा चुनाव से पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उनसे केस वापस लेने का अनुरोध किया था.

मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में मुलायम सिंह पर से मुकदमा वापस लेने का शपथ पत्र देकर उत्तर प्रदेश की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है. हालांकि, मायावती गेस्ट हाउस कांड में सिर्फ मुलायम पर मुलायम हो रही है. मामले से जुड़े हुए बाकी लोगों पर केस चलता रहेगा.

मालूम हो कि इस साल लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा का गठबंधन होने के दौरान ही गेस्ट हाउस कांड से केस वापस लेने की पथकथा लिखी गई थी. फरवरी में दोनों पक्षों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में गेस्ट हाउस केस वापस करने की अर्जी दे दी थी, जिस पर दो डेट भी पड़ चुकी है. इस तरह से गठबंधन टूटने के बाद भी मायावती ने अपने वादे पर कायम रहीं.

क्या है गेस्ट हाउस कांड? जानें…
साल 1993 में सपा-बसपा के गठबंधन के बाद प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी थी. उस समय बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद राजनीति में ध्रुवीकरण चरम पर था, ऐसे में सपा-बसपा का गंठबंधन हुआ और मायावती के समर्थन से सरकार बनी थी. चूंकि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं था, इसलिए जब कुछ मनमुटाव के बाद मायावती ने अपना समर्थन सरकार से वापस ले लिया, तो मुलायम सिंह यादव की सरकार गिर गयी.

2 जून 1995 को मायावती ने अपना समर्थन वापस लिया था, जिसके बाद सपा के नाराज कार्यकर्ताओं ने लखनऊ मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पर हमला कर दिया था, जिसमें मायावती ठहरी हुईं थीं. उन्मादी भीड़ समर्थन वापस लेने की घटना से नाराज थी और वे मायावती को सबक सिखाना चाहते थे. भीड़ गेस्ट हाउस में घुस आयी और मायावती पर हमला कर दिया. जानकार बताते हैं कि उस वक्त भीड़ ने ना सिर्फ मायावती के साथ मारपीट की, बल्कि उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया था. यहां तक कि उनके कपड़े भी फाड़ दिये गये थे. मायावती के जीवन पर लिखी गयी किताब ‘बहनजी’ में इस घटना का विस्तृत विवरण है.

बताया जाता है कि मायावती ने भीड़ से खुद को बचाने के लिए कमरे में बंद हो गयीं थीं, लेकिन दरवाजा तोड़ दिया गया था और उनके साथ बदसूलकी की गयी थी. उससमय भाजपा नेता लालजी टंडन किसी तरह उन्हें वहां से बचाकर ले गये थे, जिसके बाद मायावती ने उन्हें राखी बांधना शुरू कर दिया था. कहा तो यह भी जाता है कि इस घटना के बाद मायावती ने साड़ी पहनना छोड़ दिया और सलवार कुर्ता पहनने लगीं. इस घटना के लिए मायावती ने मुलायम सिंह को जिम्मेदार ठहराया था.

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