भारत की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की संख्या बनी है समस्या का सबब, यूपी में हालत ज्यादा खस्ता

नयी दिल्ली : देश भर की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों के मौजूद होने की समस्या बनी हुई है. भारत में जेलों पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नये आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है. वर्ष 2015-2017 के दौरान भी जेल में क्षमता से अधिक कैदी थे. इस अवधि में कैदियों की संख्या […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 5, 2019 9:46 PM

नयी दिल्ली : देश भर की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों के मौजूद होने की समस्या बनी हुई है. भारत में जेलों पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नये आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है. वर्ष 2015-2017 के दौरान भी जेल में क्षमता से अधिक कैदी थे. इस अवधि में कैदियों की संख्या में 7.4 फीसदी का इजाफा हुआ, जबकि समान अवधि में जेल की क्षमता में 6.8 फीसदी वृद्धि हुई. हाल में एनसीआरबी की जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट में 2015 से 2017 के आंकड़ों को शामिल किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017 के अंत में देश भर की 1,361 जेलों में 4.50 लाख कैदी थे. इस तरह, सभी जेलों की कुल क्षमता से करीब 60,000 अधिक कैदी थे. इसमें कहा गया कि जेलों में कैदियों के रहने की क्षमता 2015 में 3.66 लाख से बढ़कर 2016 में 3.80 लाख और 2017 में 3,91,574 होने के बावजूद कैदियों की संख्या पार कर गयी. इस अवधि में जेलों की क्षमता में 6.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी.

जेल की क्षमता में बढ़ोतरी के बावजूद कैदियों की संख्या 2015 में 4.19 लाख से 2016 में 4.33 लाख और 2017 में 4.50 लाख हो गयी. इस तरह, 2015-17 में 7.4 फीसदी की वृद्धि हुई. जेल में कैदियों के रहने की क्षमता की तुलना में कैदियों की संख्या बढ़ने के कारण जेल में रिहाईश दर 2015 में 114.4 फीसदी से बढ़कर 2017 में 115.1 फीसदी हो गयी.

एनसीआरबी के मुताबिक, 2017 के अंत तक विभिन्न जेलों में 4.50 लाख कैदी थे, इनमें 431823 पुरूष और 18873 महिलाएं थीं. रिपोर्ट के मुताबिक, जेल में सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ उत्तर प्रदेश में है, जबकि सभी राज्यों की तुलना में यहां सबसे ज्यादा जेल की क्षमता है. उत्तर प्रदेश की जेलों में सबसे ज्यादा कैदी भी हैं. उत्तर प्रदेश में कुल 70 जेल हैं, जिनमें 58,400 कैदी रह सकते हैं, लेकिन 2017 के अंत में यहां 96,383 कैदी थे.

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