विश्व पर्यटन दिवस : भारतीय पर्यटकों को होटल में कम रिश्तेदार या विदेशों में भी घरों में रहना है पसंद

नयी दिल्ली: अगर किसी की कहीं बाहर घूमने जाने की योजना है, वह महंगे होटल में नहीं रूकना चाहता है और उस क्षेत्र में कोई सगा-संबंधी भी नहीं हो तो ‘होम स्टे’ एक अच्छी व्यवस्था हो सकती है. होम स्टे का मतलब है कि आप अपने पसंदीदा गंतव्य में किसी होटल में न रूककर वहां […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 26, 2019 2:14 PM

नयी दिल्ली: अगर किसी की कहीं बाहर घूमने जाने की योजना है, वह महंगे होटल में नहीं रूकना चाहता है और उस क्षेत्र में कोई सगा-संबंधी भी नहीं हो तो ‘होम स्टे’ एक अच्छी व्यवस्था हो सकती है. होम स्टे का मतलब है कि आप अपने पसंदीदा गंतव्य में किसी होटल में न रूककर वहां किसी स्थानीय व्यक्ति के घर रूकते हैं . इस तरह के प्रवास के बहुत फायदे हैं जैसे कि आपको स्थानीय खान-पान का अवसर मिलता है, वहां की लोक कहानियों, लोक संस्कृति से आपका परिचय होता है और उन खूबसूरत जगहों पर जाने का मौका मिलता है जिसके बार में बाहर चर्चा नहीं होती.

27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस है. पर्यटन उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय पर्यटक अपने घर से दूर एक ‘घर’ चाहते हैँ. पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2017 में 1.65 अरब घरेलू पर्यटकों ने सैर की. इस उद्योग में वृद्धि की संभावना का कोई अंत नहीं है. मंत्रालय ने बताया कि विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है.
2018 में एक करोड़ पांच लाख पर्यटक भारत आए थे. एक साल में कई बार यात्रा करने वाली दिल्ली की प्रीति मिश्रा के लिए होमस्टे में जो सब कुछ अनौपचारिक तरीके से किया जाता है, वही उन्हें आकर्षित करता है. दिल्ली-आईआईटी की पीएचडी स्कॉलर प्रीति का कहना है कि वहां वह घर के मालिक, खाना बनाने वाले से, घर की देखरेख करने वाले से तसल्ली से बातचीत कर सकती हैं.
पर्यटन से संबंधित वेबसाइट यात्रा डॉट कॉम के सीओओ शरत ढाल का कहना है कि 300 शहरों में उनके पास 3,500 होम स्टे सूचीबद्ध हैं और होमस्टे से जुड़ी जानकारियां पर्यटकों द्वारा मांगने में 67 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. यात्रा से संबंधित वेबसाइट ‘क्लियरट्रिप’ के अंकित रस्तोगी के अनुसार गोवा, केरल, पुडुचेरी, लद्दाख, कोंकण जैसी जगहों पर होमस्टे खासा लोकप्रिय है.

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