370 पर पाक को फिर झटका रूस का भी दखल से इंकार, अलग-थलग पड़ा पाक

नयी दिल्ली/मॉस्को : जम्मू-कश्मीर में ताजा बदलाव के बाद पाकिस्तान बौखला गया है. एक तरफ उसने भारत के साथ सभी द्विपक्षीय रिश्ते समाप्त करने की बात कही, तो दूसरी तरफ विश्व की बड़ी शक्तियों से दखल देने की मांग कर रहा है. हालांकि, उसे अब तक निराशा ही हाथ लगी है. अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र, चीन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 11, 2019 2:00 AM

नयी दिल्ली/मॉस्को : जम्मू-कश्मीर में ताजा बदलाव के बाद पाकिस्तान बौखला गया है. एक तरफ उसने भारत के साथ सभी द्विपक्षीय रिश्ते समाप्त करने की बात कही, तो दूसरी तरफ विश्व की बड़ी शक्तियों से दखल देने की मांग कर रहा है. हालांकि, उसे अब तक निराशा ही हाथ लगी है. अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र, चीन के बाद अब रूस ने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने को भारत का आंतरिक मामला माना है. रूस के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारत ने जम्मू -कश्मीर के दर्जे में बदलाव व उसका दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन भारतीय गणतंत्र के संविधान के ढांचे के तहत किया गया है.

इस निर्णय से हमें कोई आपत्ति नहीं है. हम भारत-पाकिस्तान के बीच स्थिति सामान्य होने के पक्षधर हैं. उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच जो भी मतभेद हैं, वे 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणापत्र के प्रावधानों के अनुरूप राजनीतिक और कूटनीतिक तरीके से द्विपक्षीय आधार पर सुलझाये जाएं.रूस ने कहा – जम्मू-कश्मीर में भारत ने संविधान के तहत किया बदलाव, हमें दखल का नहीं अधिकार
अपने ही घर में घिरे इमरान खान
इधर, प्रधानमंत्री इमरान खान कभी संयुक्त राष्ट्र, तो कभी चीन का रुख कर रहे हैं, लेकिन वह अपने देश को ही एकजुट करने में नाकाम रहे हैं.पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियां आपस में ही लड़-भिड़ रही हैं. नेशनल असेंबली में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक हुई.
पीएमएल-एन के अध्यक्ष और विपक्षी नेता शाहबाज शरीफ ने नेशनल असेंबली के संयुक्त सत्र के दौरान कश्मीर मसले पर इमरान पर जोरदार हमला बोला. कश्मीर के बहाने शाहबाज ने इमरान को घरेलू मामले पर भी घेरा.
हमारी नीति में कोई परिवर्तन नहीं : अमेरिका
इससे पहले अमेरिका कह चुका है कि कश्मीर पर उसकी नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. चीन ने शुक्रवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से कहा कि भारत-पाक संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव और शिमला समझौते के माध्यम से ही कश्मीर मुद्दे को सुलझाएं.

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