17वीं लोकसभा का पहला सत्र खत्म, 1952 के बाद सबसे ज्यादा हुआ काम

नयी दिल्ली : सत्रहवीं लोकसभा का पहला सत्र मंगलवार को संपन्न हो गया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करते हुए कहा कि यह 1952 के बाद सबसे स्वर्णिम सत्र रहा है. इसमें 134 फीसदी कामकाज हुआ है. 17 जून से छह अगस्त तक चले इस सत्र में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 7, 2019 7:46 AM
नयी दिल्ली : सत्रहवीं लोकसभा का पहला सत्र मंगलवार को संपन्न हो गया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करते हुए कहा कि यह 1952 के बाद सबसे स्वर्णिम सत्र रहा है. इसमें 134 फीसदी कामकाज हुआ है. 17 जून से छह अगस्त तक चले इस सत्र में कुल 37 बैठकें हुई हैं और करीब 280 घंटे तक कार्यवाही चली है.
इस दौरान लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के संकल्प समेत कुल 36 विधेयक पारित किये गये हैं. बिरला ने कहा कि इस सत्र में कोई व्यवधान नहीं हुआ है. सदन को सुचारु रूप से चलाने में सहयोग के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री और सदन के नेता नरेंद्र मोदी, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और विभिन्न दलों के नेताओं को धन्यवाद दिया.
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, सत्र सात अगस्त तक प्रस्तावित था, लेकिन सरकार के आग्रह पर बिरला ने इसे एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया. बिरला ने कहा कि कुल 265 नवनिर्वाचित सदस्यों में से अधिकतर सदस्यों को शून्यकाल अथवा किसी न किसी विधेयक पर चर्चा में बोलने या प्रश्नकाल में पूरक प्रश्न पूछने का मौका मिला.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन समेत 36 विधेयक पास, 280 घंटे तक चली कार्यवाही
265 सांसदों को बोलने या प्रश्न पूछने का मौका मिला
46 महिला सांसदों में से
42 ने सदन में बात रखी
183 तारांकित प्रश्न पूछे गये
1086 लोकहित से जुड़े
मुद्दे शून्यकाल में उठाये गये
लोकसभा के पहले सत्रों में कामकाज की स्थिति
वर्षप्रोडक्टिविटी
2019134%
2014109%
2009104%
200464%
पहले सत्र में कब कितने बिल पास
वर्षबिल पास
201936
201412
वर्षबिल पास
200908
200406
इस लोस से पास हुए अहम बिल
अनुच्छेद 370 को हटाने संबंधित दो संकल्प, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, तीन तलाक, मोटरयान संशोधन विधेयक, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, मजदूरी संहिता विधेयक, एनएमसी, पॉक्सो समेत 36 बिल.
सरकारी आवास समय पर खाली कराने संबंधी बिल संसद से पास
राज्यसभा ने सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, सांसदों के लिए बने सरकारी आवासों को अनधिकृत कब्जे से मुक्त कराने संबंधी विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी. उच्च सदन ने ‘सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) संशोधन विधेयक, 2019’ को चर्चा के बाद मंजूरी दे दी. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है.
बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि यह संशोधन विधेयक उन सरकारी आवासों के संदर्भ में है, जो सांसदों एवं अधिकारियों को आवंटित होते हैं. उन्होंने कहा कि आवास आवंटी को घर खाली करने के लिए कारण बताओ नोटिस देने के बाद तीन दिन का समय जवाब देने के लिए दिया जाता है, ताकि वह अपना पक्ष रख सके.
मकान खाली कराने में स्वास्थ्य, बच्चों की पढ़ाई और स्थानांतरण सहित अन्य मानवीय एवं वैध आधारों का ध्यान रखा गया है, इसलिए इसे अमानवीय न समझा जाये. उल्लेखनीय है कि मौजूदा व्यवस्था में कारण बताओ नोटिस की अवधि सात दिन है. इसके बाद तीन चरण में 15 दिन का अतिरिक्त समय मिलता है.

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