लवासा मामले में चुनाव आयोग ने कहा आचार संहिता उल्लंघन मामले की शिकायतों के फैसले में शामिल नहीं होगी असहमति

नयी दिल्ली : निर्वाचन आयोग ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में आयोग के सभी सदस्यों के असहमति के विचारों को फैसले का हिस्सा बनाने से इंकार करते हुए मौजूदा व्यवस्था को ही बरकरार रखने का फैसला किया है. आयोग ने कहा है कि असहमति और अल्पमत के फैसले को आयोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 21, 2019 6:03 PM

नयी दिल्ली : निर्वाचन आयोग ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में आयोग के सभी सदस्यों के असहमति के विचारों को फैसले का हिस्सा बनाने से इंकार करते हुए मौजूदा व्यवस्था को ही बरकरार रखने का फैसला किया है. आयोग ने कहा है कि असहमति और अल्पमत के फैसले को आयोग के फैसले में शामिल कर सार्वजनिक नहीं किया जायेगा.

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आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों को निपटारे में असहमति के मत को आयोग के फैसले में शामिल करने के चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के सुझाव पर विचार करने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा द्वारा मंगलवार को हुई आयोग की पूर्ण बैठक में यह फैसला किया गया. हालांकि, आयोग ने कहा कि निर्वाचन नियमों के तहत इन मामलों में सहमति और असहमति के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया की फाइलों में दर्ज किय जायेगा.

उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में असहमति का फैसला देने वाले लवासा ने उनके मत को भी आयोग के फैसले में शामिल करने की मांग की थी. आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निपटारे की प्रक्रिया के बारे में हुई बैठक में यह तय किया गया है कि इस तरह के मामलों में सभी सदस्यों के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जायेगा. सभी सदस्यों के मत के आधार पर उक्त शिकायत को लेकर कानून सम्मत औपचारिक निर्देश पारित किया जायेगा.

सूत्रों के अनुसार, अरोड़ा की अध्यक्षता में हुई बैठक में सर्वसम्मति से इस व्यवस्था को स्वीकार किया गया. ज्ञात हो कि लवासा ने आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निस्तारण में आयोग के फैसले से असहमति का मत व्यक्त करने वाले सदस्य का पक्ष शामिल नहीं करने पर नाराजगी जतायी थी. लवासा ने पिछले कुछ समय से आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निपटारे के लिए होने वाली आयोग की पूर्ण बैठकों से खुद को अलग कर लिया था.