CJI के खिलाफ आरोप : पूर्व कर्मचारी न्यायाधीशों की आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश

नयी दिल्ली : प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की पूर्व कर्मचारी शुक्रवार को न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश हुई. न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की समिति ने शुक्रवार को चैंबर में अपनी पहली बैठक की. इस बैठक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 26, 2019 5:53 PM

नयी दिल्ली : प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की पूर्व कर्मचारी शुक्रवार को न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश हुई.

न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की समिति ने शुक्रवार को चैंबर में अपनी पहली बैठक की. इस बैठक में समिति की अन्य सदस्य न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी भी उपस्थित थीं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि शिकायतकर्ता पूर्व कर्मचारी और उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल समिति के समक्ष पेश हुए. समिति ने सेक्रेटरी जनरल को इस मामले से संबंधित सारे दस्तावेज और सामग्री के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया था. शिकायतकर्ता महिला के साथ आयी वकील समिति की कार्यवाही का हिस्सा नहीं थी. समिति ने शिकायतकर्ता का पक्ष सुना. समिति की अगली बैठक की तारीख शीघ्र निर्धारित की जायेगी.

न्यायमूर्ति बोबडे ने 23 अप्रैल को बताया था कि आंतरिक प्रक्रिया में पक्षकारों की ओर से वकीलों के प्रतिनिधित्व की व्यवस्था नहीं है क्योंकि यह औपचारिक रूप से न्यायिक कार्यवाही नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया था कि इस जांच को पूरा करने के लिये कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है और इसकी कार्रवाई का रुख जांच के दौरान सामने आने वाले तथ्यों पर निर्भर करेगा. न्यायमूर्ति बोबडे ने आंतरिक जांच के लिए इसमें न्यायमूर्ति एनवी रमण और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी को शामिल किया था. हालांकि, शिकायतकर्ता ने एक पत्र लिखकर समिति में न्यायमूर्ति रमण को शामिल किये जाने पर आपत्ति की थी. पूर्व कर्मचारी का कहना था कि न्यायमूर्ति रमण प्रधान न्यायाधीश के घनिष्ठ मित्र हैं और अक्सर ही उनके आवास पर आते रहे हैं.

यही नहीं, शिकायतकर्ता ने विशाखा प्रकरण में शीर्ष अदालत के फैसले में प्रतिपादित दिशा-निर्देशों के अनुरूप समिति में महिलाओं के बहुमत पर जोर दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि समिति की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही न्यायमूर्ति रमण ने खुद को इससे अलग कर लिया. इसके बाद, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा को इस समिति में शामिल किया गया. इस तरह समिति में अब दो महिला न्यायाधीश हैं. शिकायतकर्ता महिला दिल्ली में प्रधान न्यायाधीश के आवासीय कार्यालय में काम करती थी. उसने एक हलफनामे पर प्रधान न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरेाप लगाते हुए इसे उच्चतम न्यायालय के 22 न्यायाधीशों के आवास पर भेजा था. इसी हलफनामे के आधार पर चार समाचार पोर्टलों ने कथित यौन उत्पीड़न संबंधी खबर भी प्रकाशित की थी.

महिला ने अपने हलफनामे में न्यायमूर्ति गोगोई के प्रधान न्यायाधीश नियुक्त होने के बाद कथित उत्पीड़न की दो घटनाओं का जिक्र किया था. महिला ने आरोप लगाया है कि जब उसने यौनाचार की पहल को झिड़क दिया तो इसके बाद उसे नौकरी से हटा दिया गया. प्रधान न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न के आरोप की खबरें सामने आने पर शीर्ष अदालत ने 20 अप्रैल को ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता से संबंधित अत्यधिक महत्व का सार्वजनिक मामला’ शीर्षक से सूचीबद्ध प्रकरण के रूप में अभूतपूर्व तरीके से सुनवाई की थी.

Next Article

Exit mobile version