इतनी आसानी से भारत नहीं छोड़ेगा जैश आतंकी मसूद अजहर को, घेराबंदी शुरू

नयी दिल्ली : आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में शामिल करने की भारत की कोशिश खत्म नहीं हुई है. भारत मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के लिए चौतरफा दबाव बनाने का काम जारी रखे हुए है. आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत मसूद अजहर को […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 16, 2019 12:32 PM

नयी दिल्ली : आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में शामिल करने की भारत की कोशिश खत्म नहीं हुई है. भारत मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के लिए चौतरफा दबाव बनाने का काम जारी रखे हुए है. आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति के साथ लगातार काम कर रहा है. भारत का मानना है कि चीन के लिए आतंकवाद एक बड़ा मुद्दा है. वे जानते हैं कि कई आतंकवादी समूह पाकिस्तान में हैं.

भारत ने कहा है कि पाकिस्तान द्वारा पिछले कुछ दिनों में आतंकवादी संगठनों के खिलाफ उठाये गये कदम दिखावटी हैं. सूत्रों ने चीन के अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में बाधा डालने पर कहा कि हम जितना भी समय लगे संयम बनाए रखेंगे. अजहर मुद्दे पर चीन के अड़ंगे के बारे में सरकारी सूत्रों ने कहा है कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिन्हें चीन को पाकिस्तान के साथ सुलझाने की जरूरत है.

इधर, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन अब चीन के साथ गहन ‘‘सद्भावना’ वार्ता कर रहे हैं, ताकि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति में वैश्विक आतंकवादी घोषित करने को लेकर कोई ‘‘समझौता’ किया जा सके. जानकारों की मानें तो अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने संबंधी प्रस्ताव की भाषा को लेकर भी चीन से बातचीत कर रहे हैं.

यहां चर्चा कर दें कि चीन ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किये जाने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति में पेश प्रस्ताव को बुधवार को अपने वीटो के अधिकार के माध्यम से चौथी बार बाधित कर दिया था. इस प्रस्ताव को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने पेश किया था. इन तीनों देशों ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए जैश-ए-मोहम्मद के हमले के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के कुछ दिनों बाद प्रस्ताव पेश किया था. इस हमले में सीआरपीएस के 40 जवान शहीद हो गये थे.

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