खुर्जा में नये थर्मल पावर प्‍लांट से लाखों लोगों के स्वास्थ्य को खतरा : ग्रीनपीस

नयी दिल्ली : भारी प्रदूषण वाले दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों के नजदीक उत्तर प्रदेश जैसी जगहों पर नये कोयला ऊर्जा संयंत्र वित्तीय रूप से जोखिम भरे, गैर जरूरी और लाखों लोगों की जिंदगी के लिए खतरा हैं. यह बात ग्रीनपीस इंडिया के विश्लेषण में कही गयी है. ग्रीनपीस इंडिया की ओर से जारी आधिकारिक बयान के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 13, 2018 11:05 PM

नयी दिल्ली : भारी प्रदूषण वाले दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों के नजदीक उत्तर प्रदेश जैसी जगहों पर नये कोयला ऊर्जा संयंत्र वित्तीय रूप से जोखिम भरे, गैर जरूरी और लाखों लोगों की जिंदगी के लिए खतरा हैं. यह बात ग्रीनपीस इंडिया के विश्लेषण में कही गयी है. ग्रीनपीस इंडिया की ओर से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक विश्लेषण उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में स्थित 1,320 मेगावाट क्षमता वाले खुर्जा सुपर थर्मल पॉवर (एसटीपी) पर केंद्रित है.

इसने कहा, ‘विश्लेषण दिखाता है कि नवीकरणीय ऊर्जा की कीमत में नाटकीय गिरावट के साथ, सौर, पवन या सौर पवन संकरित परियोजनाएं न सिर्फ क्षेत्र को सस्ती, स्वच्छ बिजली उपलब्ध करायेंगी, बल्कि परियोजना के प्रमोटरों और निवेशकों के लिए भी नये कोयला संयंत्र के मुकाबले वित्तीय रूप से ज्यादा सुरक्षित हैं.’

ग्रीनपीस इंडिया की कैंपेनर पुजारिनी सेन कहती हैं, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि क्षेत्र में खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके वायु प्रदूषण और अक्षय ऊर्जा की अर्थव्यवस्था में बदलाव के बावजूद वित्त मंत्रालय ने सिद्धांतः खुर्जा कोयला पावर प्रोजेक्ट में निवेश के लिए हरी झंडी दे दी है. यह साफ है कि नया कोयला पावर परियोजना निवेश या फिर पर्यावरण के लिहाज से कोई अर्थ नहीं बना रहा है.’

एक उदाहरण के रूप में खुर्जा सुपर थर्मल पावर प्लांट के भूमि पदचिह्न का उपयोग करते हुए, विश्लेषण में यह बताने की कोशिश की गयी है कि खुर्जा एसटीपी के आकार और पैमाने का एक सौर संयंत्र आवश्यक निवेश जैसे नौकरी के विकास, नौकरी की वृद्धि, इक्विटी पर वापसी, बिजली उत्पादन आदि में थर्मल पावर प्लांट से ज्यादा फायदेमंद साबित होगा और इससे प्रदूषण से भी बचा जा सकता है.

इस थर्मल पावर प्लांट के लिये आवंटित 1200 एकड़ में ही 240 मेगावाट सोलर बिजली पैदा किया जा सकता है. इतना ही नहीं खुर्जा पावर प्लांट को 3,378 एकड़ वन भूमि की भी खनन के लिए आवश्यकता पड़ेगी, जो सिंगरौली में स्थित है. इसमें 9 लाख पेड़ों का काटा जाना भी शामिल है.’ इतनी ही जमीन खनन के लिए 3378 एकड़ में बिना किसी जंगल को काटे 675 मेगावाट उत्पादन करने वाला सोलर परियोजना लगाया जा सकती है. मतलब खुर्जा जितनी बड़ी परियोजना से 915 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा सकता है.

इस तरह के सोलर परियोजना से 8,341 नौकरियां बनायी जा सकती हैं और इस परियोजना की कुल लागत अनुमानतः 3,204 करोड़ (3.5 करोड़ प्रति मेगावाट) होगा, जबकि थर्मल पावर प्लांट के लिए 12,676 करोड़ निवेश की जरूरत होगी. यह सालाना 1.2 मिलियन टन कार्बन डॉक्साइड को ऑफसेट भी करेगी.

उत्तर प्रदेश में स्वच्छ वायु और ऊर्जा के मुद्दे पर काम कर रहे क्लाइमेट एजेंडा के रवि शेखर कहते हैं, ‘उत्तर प्रदेश के लोगों को सस्ती बिजली और स्वच्छ हवा चाहिए, खुर्जा थर्मल पावर प्लांट से उनको दोनों में से कुछ भी नहीं मिलेगा. हम वित्त मंत्रालय और टीएचडीसी से मांग करते हैं कि इस परियोजना पर पुनर्विचार करे और क्षेत्र की आवश्यकता सस्ती बिजली और स्वच्छ हवा की जरूरत को ध्यान में रखते हुए कार्य करे.’

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