नोटबंदी @ दो साल : नोटबंदी से क्या हुआ लाभ, क्या नुकसान

आज ही के दिन दो साल पहले रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट के पर रोक लगा दी थी. दूसरे दिन जब लोग उठे तो अखबारों से उन्हें यह जानकारी मिली, जिन्हें रात में ही खबर मिली थी वह 100 रुपये के नोट निकालने के लिए एटीएम की तरफ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 8, 2018 12:43 PM

आज ही के दिन दो साल पहले रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट के पर रोक लगा दी थी. दूसरे दिन जब लोग उठे तो अखबारों से उन्हें यह जानकारी मिली, जिन्हें रात में ही खबर मिली थी वह 100 रुपये के नोट निकालने के लिए एटीएम की तरफ भागे. रात से ही लंबी कतारें एटीएम पर लगनी शुरू हो गयी और यह सिलसिला कई महीनों तक जारी रहा.

जब संकट थोड़ा कम हुआ तो इस पर चर्चा शुरू हुई कि नोटबंदी से हमें क्या मिला. सरकार के अपने दावे हैं और विपक्ष के अपने. इन दावों के बीच इस फैसले के दो साल पूरे हो गये. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने 500 रुपये के नये नोट जारी किये लेकिन 1000 रुपये के नोट बंद कर दिये गये. इसकी जगह पर 2000 रुपये का नोट चलन में आया. एक बार फिर समझने की कोशिश की जाए नोटबंदी की पूरी कहानी …
नोटबंदी पर फिर कांग्रेस का निशाना, माफी मांगे पीएम
नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर विपक्ष ने भी सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है. कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, दो साल पहले नोटबंदी के तुगलकी फरमान से देश की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ उसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने के लिए कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरेंगे.
कांग्रेस ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, दो साल पहले पीएम ने लगभग 16.99 लाख करोड़ रुपये मूल्य की मुद्रा को चलन से बाहर कर दिया था. उन्होंने इसके पीछे तीन कारण बताये थे पहला था, काले धन पर रोक लगेगी दूसरा जाली मुद्रा बाहर हो जायेगी और तीसरा आतंकवाद को वित्तीय सहायता मिलनी बंद हो जाएगी. लेकिन इससे कुछ नहीं हुआ, बल्कि देश को बहुत नुकसान हुआ. पीएम को अपने इस फैसले की वजह से देश से माफी मांगनी चाहिए.
क्या है आरबीआई की रिपोर्ट में
साल 2016- 17 में आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा, अवैध घोषित 15.44 लाख करोड़ रुपये में से 15.31 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गये. इसे ऐसे समझिए कि अवैध घोषित किये गये 99.3% नोट बैंकों में जमा कर दिए गए जबकि 10,720 करोड़ रुपये मूल्य के महज 0.7% नोटों का ही कुछ पता नहीं चल पाया.
1,000 रुपये के 8.9 करोड़ नोट यानी 1.3 प्रतिशत नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं लौटे. नोटबंदी के बाद कैशलेस व्यवस्था पर जोर दिया गया जबकि आरबीआई अपनी रिपोर्ट में यह बताता है कि जैसे ही एटीएम में पैसा वापस आया लोगों ने निकाल कर पैसा जमा करना शुरू कर दिया आरबीआई अपनी रिपोर्ट में कहता है अगस्त 2018 में एटीएम से कैश विदड्रॉल 2.75 लाख करोड़ रुपये था. यह अक्टूबर 2016 में 2.54 लाख करोड़ रुपये की नकद निकासी के मुकाबले 8 पर्सेंट ज्यादा था. हालांकि मोबाइल से लेन देन में भी बढोत्तरी हुई है लेकिन ज्यादातर लोग अब भी नकदी पर भरोसा करते हैं.
सरकार को नये नोट की छपाई में कितना खर्च आया
पुराने नोट बंद करने के बाद सरकार ने नये नोट जारी किये . पांच सौ और दो हजार रुपये के नोट चलन में आये. नये नोट छापने के लिए सरकार ने लगभग 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए. पिछले वर्ष नोट छापने पर आधे से भी कम 3,421 करोड़ रुपये ही खर्च हुए थे जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में नोट छपाई पर 4,912 करोड़ रुपये खर्च हुए. इसके अलावा एटीएम में नये नोट की साइज के आधार पर जरूरी बदलाव करने पड़े.बैंक ने माना कि वित्त वर्ष 2016-17 में उसकी आमदनी 23.56 प्रतिशत घटी है जबकि खर्च दोगुने से भी ज्यादा हुआ और 107.84 प्रतिशत तक चला गया.
नोटबंदी से क्या लाभ हुआ
नोटबंदी के कारण लोग कैशलेस व्यवस्था की तरफ बढ़े और ज्यादातर लोग अब भी मोबाइल से ऑनलाइन पेमेंट में भरोसा करते हैं . सितंबर में BHIM ऐप का ऐंड्रॉयड वर्जन 3 करोड़ 55 लाख जबकि आईओएस में इसका इस्तेमाल करने वाले 17 लाख से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं. 18 अक्टूबर 2018 तक भीएम ऐप से 8,206.37 करोड़ रुपये मूल्य के कुल 18 लाख 27 हजार रुपये का लेन देन हुआ.
यहां सिर्फ BHIM ऐप का आकड़ा है इसके अलावा पेटीएम, RuPay, UPI, गूगल पे सहित कई ऐसे एप्स हैं जो ऑनलाइन पेमेंट में लोगों का भरोसा बढ़ा है. नोटबंदी के बाद से आयकर में वृद्धि हुई . साल 2017-18 कुल रिटर्न की संख्या 71% बढ़कर 5.42 करोड़ हुई थी. अगस्त 2018 तक दाखिल आयकर रिटर्न की संख्या 5.42 करोड़ है जो 31 अगस्त 2017 में 3.17 करोड़ थी. यहां रिटर्न भरने वालों की संख्या में 70.86% वृद्धि हुई .

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