एनएन वोहरा : UPA व NDA दोनों का भरोसेमंद शख्स जिनके हाथ अब है जम्मू कश्मीर की कमान, पूरा बायोडाटा

जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हो गया है. ऐसे में अब राज्य की कमान राज्यपाल एनएन वोहरा के हाथों में होगी. व्यवस्था के मुताबिक, शुरुआत में यह छह महीने के लिए प्रभावी होगा. इसके बाद सरकार उसे आगे बढ़ाने या अन्य विकल्पों पर विचार कर सकती है. मालूम हो कि राज्य में ये हालात […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 19, 2018 7:30 PM

जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हो गया है. ऐसे में अब राज्य की कमान राज्यपाल एनएन वोहरा के हाथों में होगी. व्यवस्था के मुताबिक, शुरुआत में यह छह महीने के लिए प्रभावी होगा. इसके बाद सरकार उसे आगे बढ़ाने या अन्य विकल्पों पर विचार कर सकती है. मालूम हो कि राज्य में ये हालात मंगलवार को पीडीपी और बीजेपी का गंठबंधन टूटने से उत्पन्न हुर्इ है.

जहां नेशनल कॉन्‍फ्रेंस के नेता उमर अब्‍दुल्‍ला ने किसी पार्टी के साथ सरकार नहीं बनाने की बात कही है, वहीं बीजेपी पहले से राष्‍ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुकी है. दूसरी ओर कांग्रेस भी पीडीपी को समर्थन न देने का ऐलान पहले ही कर चुकी है. ऐसे में जम्‍मू-कश्‍मीर में राज्यपाल शासन ही अंतिम विकल्‍प है.

इन तमाम घटनाक्रम के बाद जम्मू कश्मीर में लगे राज्यपाल शासन के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा की भूमिका बढ़ गयी है. ऐसे में उनकी पूष्ठभूमि जानना जरूरी हो जाता है, आइए जानते हैं-

82 साल के पूर्व आईएएस नरेंद्र नाथ वोहरा 2008 से जम्‍मू-कश्‍मीर के राज्‍यपाल हैं. उनका दूसरा कार्यकाल आगामी 25 जून को खत्म हो रहा था, लेकिन ताजा घटनाक्रम के बीच राष्ट्रपति भवन से उन्हें विस्तार देते हुए नयी नियुक्ति तक पद पर बने रहने के लिए कहा गया है.

एनएन वोहरा, पहली बार 25 जून 2008 को यूपीए सरकार के दौरान जम्मू कश्मीर के राज्यपाल नियुक्त किये गये थे और फिर साल 2013 में उन्हें कार्यकाल विस्तार दिया गया था.

वोहरा जम्मू कश्मीर के 12वें राज्यपाल हैं. 2008 में उन्होंने एसके सिन्हा की जगह ली थी. गवर्नर बनने से पहले 2003 में उन्हें केंद्र सरकार की ओर से कश्मीर में वार्ताकार नियुक्त किया गया था.

वर्ष 1954 से 1994 तक नौकरशाह रहे वोहरा ने केंद्रीय गृह एवं रक्षा सचिवों के रूप में सेवा दी. तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल के प्रधान सचिव के रूप में 1997-98 में उन्हें सेवानिवृत्ति से वापस बुला लिया गया.

उन्हें 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 1989 में जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद के उदय के बाद वह पहले राज्यपाल हैं जो सेना या खुफिया विभाग से बाहर के व्यक्ति हैं.

मालूम हो कि जगमोहन के बाद रॉ के पूर्व प्रमुख गिरीशचंद्र सक्सेना राज्यपाल बने थे. सक्सेना के बाद 1993 में केवी कृष्णराव (सेवानिवृत्त) ने पदभार संभाला था. सक्सेना फिर 1998 में इस पद पर आये और उसके बाद लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा ने 2003 में यह पद संभाला.

Next Article

Exit mobile version