महिलाओं पर नहीं चलेगा रेप और यौन उत्पीड़न का केस: सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वह अर्जी खारिज कर दी जिसमें बलात्कार, यौन उत्पीड़न, लज्जा भंग करने, छुप-छुपकर यौन गतिविधियां देखकर आनंदित होने और पीछा करने जैसे अपराधों में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं पर भी केस चलाने की मांग की गयी थी. कोर्ट ने कहा कि यदि संसद चाहे तो इसमें बदलाव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 3, 2018 11:57 AM


नयी दिल्ली :
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वह अर्जी खारिज कर दी जिसमें बलात्कार, यौन उत्पीड़न, लज्जा भंग करने, छुप-छुपकर यौन गतिविधियां देखकर आनंदित होने और पीछा करने जैसे अपराधों में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं पर भी केस चलाने की मांग की गयी थी. कोर्ट ने कहा कि यदि संसद चाहे तो इसमें बदलाव कर सकती है.

एक वकील ने अपनी अर्जी में कहा था कि बलात्कार के अपराध को लिंग-निरपेक्ष बनाया जाना चाहिए ताकि इस अपराध के लिए किसी महिला को भी सजा मिल सके. अर्जी खारिज करते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ की पीठ ने कहा कि यह एक ‘‘काल्पनिक स्थिति” है और सामाजिक जरूरतों के मुताबिक संसद इस पर विचार कर सकती है. पीठ ने यह भी कहा कि संसद चाहे तो कानून में बदलाव कर सकती है और न्यायालय इसमें दखल नहीं दे सकता.

याचिकाकर्ता-वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि कानून किसी पुरुष के खिलाफ भेदभावपूर्ण नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, ‘‘अपराध का कोई लिंग नहीं होता और न ही कानून लिंग आधारित होना चाहिए. आईपीसी में किसी शख्स की ओर से इस्तेमाल किये गये शब्दों को हटाया जाना चाहिए. कानून अपराधियों के बीच भेदभाव नहीं करता और अपराध को अंजाम देने वाले हर शख्स को सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह पुरुष हो या महिला हो.”

कार्यवाही के दौरान न्यायालय ने कहा, ‘‘आप कह रहे हैं कि एक महिला भी किसी पुरुष का पीछा कर सकती है. क्या आपने किसी महिला को शिकायत दाखिल करते देखा है जिसमें वह कह रही हो कि किसी और महिला ने उससे बलात्कार किया या उसका पीछा किया? यह एक काल्पनिक स्थिति है. सामाजिक जरूरतों के मुताबिक संसद चाहे तो कानून में बदलाव कर सकती है.”