केरल : RSS कार्यकर्ता पर धारदार हथियार से हमला, गंभीर रूप से घायल

कन्नूर : राजनीतिक हिंसा के लिए कुख्यात केरल के कन्नूर जिले में एक बार फिर आरएसएस कार्यकर्ता पर हमला किया गया है. इस हमले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गया है. बताया जा रहा है कि कन्नूर जिले में थालसेरी के नजदीक मुझुप्पिलांगद में कथित माकपा कार्यकर्ताओं ने आज […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 16, 2017 10:08 AM

कन्नूर : राजनीतिक हिंसा के लिए कुख्यात केरल के कन्नूर जिले में एक बार फिर आरएसएस कार्यकर्ता पर हमला किया गया है. इस हमले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गया है. बताया जा रहा है कि कन्नूर जिले में थालसेरी के नजदीक मुझुप्पिलांगद में कथित माकपा कार्यकर्ताओं ने आज एक आरएसएस कार्यकर्ता पर धारदार हथियार से हमला कर दिया जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया. पुलिस के अनुसार आरएसएस कार्यकर्ता निदेश (28) की हालत गंभीर है और उसे कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उसके हाथों और टांगों में चोटें आई हैं. गौरतलब है कि यह हमला ऐसे वक्त हुआ है जब केरल में राजनीतिक हिंसा के खिलाफ बीजेपी ने जनरक्षा यात्रा निकाली है. कल भी भाजपा के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी केरल में मौजूद थे.

अखलाक हत्याकांड के आरोपियों को नहीं दी गयी नौकरियां : NTPC
कन्नूर जिले में टकराव की सबसे ज्यादा घटनाएं
भारत का सबसे शिक्षित राज्य केरल सियासी टकराव के वैसे दौर से गुजर रहा है, जहां दो परस्पर विचारधारा के बीच का संघर्ष चुनाव तक सीमित न होकर खूनी टकराव का रूख अख्तियार कर लेती है. हाल के दिनों में ऐसी घटनाओं में जबर्दस्त वृद्धि देखने को मिली है. सवाल यह कि तरक्की की लिहाज से देश में अव्वल आने वाले राज्य की राजनीति में ऐसा क्या हो गया है कि खूनी रंजिश का दौर थमने के नाम नहीं ले रहा है.
इतिहासकार मानते हैं कि केरल के कन्नूर जिले में सबसे ज्यादा राजनीतिक हिंसा की घटना हुई है.आरटीआई के खुलासे से पता चला है कि कन्नूर में जनवरी 1997 से मार्च 2008 के बीच 56 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई. सीपीएम नेता वी एस अच्युतानंद भी कन्नूर को राजनीतिक हिंसा का गढ़ मानते हैं.बताया जा रहा है कि 1977 में आपाताकाल के बाद आरएसएस के शाखाओं में जबर्दस्त वृद्धि देखने को मिली. कम्युनिस्ट पार्टी से भारी संख्या में लोग संघ के शाखाओं में आने लगे. मार्च 2015 तक दोनों ओर से चले खूनी वार में दोनों ओर से 200 कार्यकर्ताओं की जान गयी है.

Next Article

Exit mobile version