देवी की मंत्र आराधना से पूर्ण होती है मनोकामना : स्वामी निरंजनानंद

शहर के मोगलबाजार स्थित दशभुजी दुर्गा मंदिर में परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने दूसरे दिन के प्रवचन में श्रद्धालुओं को माता के स्मरण करते रहने का संदेश दिया.

By BIRENDRA KUMAR SING | September 26, 2025 8:20 PM

मुंगेर. शहर के मोगलबाजार स्थित दशभुजी दुर्गा मंदिर में परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने दूसरे दिन के प्रवचन में श्रद्धालुओं को माता के स्मरण करते रहने का संदेश दिया. उनके प्रवचन करने से पूर्व आश्रम से पहुंचे स्वामी कैवल्यानंद ने माता दुर्गा के 32 नामों का पाठ और 11 बार गायत्री मंत्र का पाठ कराया. योगाश्रम से पहुंचे वरिष्ठ संन्यासी गोरखनाथ ने स्वामी निरंजनानंद की मां धर्म शक्ति के प्रेम की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी प्रेम की महिमा अजब थी. इन्होंने एक संदेश दिया कि गुरु वाणी अंतिम वाणी होता है. स्वामी निरंजनानंद ने अपने दादा गुरु का चर्चा करते हुए कहा कि ऋषिकेश में दिव्य जीवन संघ स्थापित है. जिससे लोग वहां जाकर अपनी दिव्यता को प्राप्त करते हैं. उन्होंने कहा कि दिव्यता प्राप्त करने का दो मार्ग होता है एक वैदिक और दूसरा तांत्रिक. दोनों परंपराओं में आराधना की पद्धति होती है. वैदिक परंपरा वाह्य स्तर पर होता है, जिसमें पूजा, धूप, दीप, कलश स्थापना, स्तोत्र पाठ होता है. दूसरा आराधना तांत्रिक रूप में होता है जो भीतर का आराधना होता है. जिसमें संकल्प, आत्म शुद्धि, यंत्र को स्थापित करना, दीपक जलाना होता है. वैदिक मंत्र में प्रचलित है, प्रतिमा के सामने अपने आराधना को समर्पित करते हैं और तांत्रिक में हम साधते हैं. उन्होंने बताया कि श्रेष्ठ आराधना मंत्र आराधना है. देवी की आराधना हम मात्र मंत्र से कर सकते हैं. स्वामी जी ने बताया कि संरक्षण, प्रेम, सद्भावना मां से प्राप्त होती है. सभ्यता, संस्कृति की प्रधानता वाह्य शक्ति होता है. आदि शक्ति में तीन रूप है महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती. महाकाली में देवी का 19 रूप है. महालक्ष्मी का 8 स्वरूप होता है और मां सरस्वती का 5 स्वरूप होता है. स्वामी जी की नजर में मां सरस्वती एक उत्तम देवी है. उन्होंने कालिदास का भी चर्चा करतें हुए उनका कर्म ही उत्तम रहा होगा जो इतने महापुरुष बने. देवी का आराधना हम तीन समय में कर सकते हैं. दिन के समय, दोपहर में और संध्या बेला में. मां लक्ष्मी का आराधना श्रीसूक्त का पाठ से, गायत्री मंत्र ॐ भूर्भुवः से होता है. देवी दुर्गा का दो रूप होते हैं एक चैतन्य और एक शक्ति रूप. उन्होंने दिव्यता की खोज शिवम सत्यम सुंदरम की भी विश्लेषण करते हुए बताया कि शिवम का मतलब मंगल, सत्यम का मतलब वास्तविक कार्य और सुंदरम मतलब जीवन में सुंदरतम अभिलाषा है. उन्होंने कहा कि नवमी और दसवीं के बाद भी आराधना करते रहना है. प्रवचन कार्यक्रम में संकीर्तन भी हुआ. हारमोनियम पर गिरीश चंद्र पाठक एवं युवा तबला वादक अनिल विश्वकर्मा ने संगत किया. मौके पर मंदिर समिति के अध्यक्ष ललन ठाकुर, महामंत्री सुरेंद्र प्रसाद, उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रसाद, संयुक्त मंत्री दीपक कुमार सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.

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