Sadhguru on Soulmate: क्या सच में होता है कोई Soulmate? सद्गुरु से जानें

Sadhguru on Soulmate: क्या सोलमेट सच में होते हैं? सद्गुरु बताते हैं आत्मा, प्रेम और जीवन साथी को लेकर सच्चाई जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी.

By Pratishtha Pawar | June 12, 2025 6:10 AM

Sadhguru on Soulmate: कई बार हम फिल्मों, किताबों या भावनाओं से बहककर यह सोचने लगते हैं कि कहीं कोई एक व्यक्ति हमारे लिए ही बना है- हमारा Soulmate. लेकिन आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु इस धारणा को एक अलग नजरिए से देखते हैं. उनके अनुसार, आत्मा को कभी भी किसी सोलमेट की जरूरत नहीं होती. जरूरत शरीर और मन को होती है, आत्मा तो पूर्ण है.

Sadhguru on Soulmate: सद्गुरु कहते हैं

“आपका शरीर और मन एक साथी चाहता है, लेकिन आत्मा को किसी साथी की ज़रूरत नहीं होती. आत्मा तो पहले से ही पूरी होती है, उसे अधूरेपन का कोई अनुभव नहीं होता.”
– सद्गुरु जग्गी वासुदेव

सद्गुरु मानते हैं कि यह सोच कि कोई व्यक्ति खासतौर पर केवल हमारे लिए ही बना है, भ्रम से भरी होती है. रिश्ते में सामंजस्य और समझदारी से हम एक मजबूत बंधन बनाते हैं-यह प्रक्रिया साझा भागीदारी से बनती है, न कि किस्मत के किसी जादू से.

“आत्मा को साथी की नहीं, शांति की जरूरत होती है “

– सद्गुरु

Soulmate के भ्रम पर सद्गुरु की बातें

Sadhguru on soulmate: क्या सच में होता है कोई soulmate? सद्गुरु से जानें 3

1. कोई पूर्ण रूप से आपके लिए नहीं बना होता

सद्गुरु स्पष्ट कहते हैं कि यह केवल कल्पना है कि कोई व्यक्ति ‘परफेक्टली’ हमारे लिए बना हो. वास्तव में कोई भी पूरी तरह किसी और के लिए नहीं बनता.

2. रिश्तों में भागीदारी होती है जरूरी

एक अच्छा रिश्ता बनाना एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें दोनों पक्षों की समान जिम्मेदारी और योगदान होता है.

3. आध्यात्मिक पूर्ति अकेले भी संभव है

आत्मा किसी साथी से नहीं जुड़ती, वह तो खुद में पूर्ण है. किसी और के सहारे आत्मिक शांति पाना भ्रम है.

Sadhguru Relationship Advice: सद्गुरु से सीखें सच्चे रिश्ते निभाने के टिप्स

Sadhguru on soulmate
  1. रिश्तों में साझेदारी से जुड़ाव बढ़ता है. एक-दूसरे के साथ मिलकर अनुभवों को जीना रिश्तों को मजबूती देता है.
  2. किसी से परफेक्शन की उम्मीद न रखें. हर इंसान में कमियां होती हैं, उन्हें अपनाकर ही रिश्ता मजबूत बनता है.
  3. आत्मा की संतुष्टि बाहरी रिश्तों में नहीं, भीतर की समझ में छुपी होती है. खुद से जुड़ें, तभी दूसरे से जुड़ाव सफल होगा.
  4. प्यार, समझ, धैर्य और संवाद – इन चार स्तंभों पर टिका होता है हर रिश्ता. Soulmate की तलाश से ज्यादा ज़रूरी है इन स्तंभों को मजबूत करना.

सद्गुरु का यह दृष्टिकोण हमें सिखाता है कि Soulmate कोई जादुई रिश्ता नहीं होता, बल्कि एक ऐसा संबंध होता है जिसे हम समझदारी और मेहनत से बनाते हैं. अगर आत्मा की बात करें, तो उसे किसी साथी की नहीं, खुद की समझ और शांति की ज़रूरत होती है.

अगर आप भी Soulmate की तलाश में हैं, तो पहले खुद को जानें, समझें और स्वीकारें. जब आप अपने भीतर पूर्णता महसूस करेंगे, तभी बाहर के रिश्ते भी पूर्ण लगने लगेंगे.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.