यह प्रेम नहीं वासना है… जानिए प्रेमानंद जी महाराज से प्यार की सच्ची परिभाषा

Premanand Ji Maharaj: आजकल यूथ अकेलापन का शिकार होता जा रहा है, जिसका कहीं न कहीं एक कारण सच्चे साथी न मिलने के कारण होता है. प्रेम में अधूरा होना इंसान को पूरा होने के बाद भी अधूरा बना देता है.

By Shashank Baranwal | April 28, 2025 9:33 AM

Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज एक ऐसे दिव्य संत हैं जिनकी उपस्थिति में मन स्वतः ही शांत हो जाता है और आत्मा ईश्वर की अनुभूति करने लगती है. उनका स्वभाव अत्यंत सरल, मधुर और विनम्र है, जो किसी भी व्यक्ति के हृदय को सहज रूप से छू जाता है. उनके प्रवचन केवल धर्म का ज्ञान नहीं देते, बल्कि व्यक्ति को आत्मविश्लेषण और जीवन की सच्चाई से जोड़ते हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से वे आज लाखों लोगों के अंतर्मन में श्रद्धा, प्रेम और संतुलन का दीप प्रज्वलित कर रहे हैं. जब भी कोई श्रद्धालु अपनी जीवन यात्रा की उलझनों को उनके समक्ष प्रस्तुत करता है, वे अत्यंत धैर्य, करुणा और सहजता से समाधान देते हैं. इन्हीं गुणों के कारण वे एक सच्चे संत, एक मार्गदर्शक और एक आध्यात्मिक प्रेरणा के रूप में स्थापित हैं. आजकल यूथ अकेलापन का शिकार होता जा रहा है, जिसका कहीं न कहीं एक कारण सच्चे साथी न मिलने के कारण होता है. प्रेम में अधूरा होना इंसान को पूरा होने के बाद भी अधूरा बना देता है. ऐसे में एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से कहा कि मैंने एक शख्स से प्रेम किया, लेकिन बाद में उसने मुझे धोखा दे दिया. इसका जवाब देते हुए प्रेमानंद जी महाराज ने प्रेम की परिभाषा बताया.

  • प्रेमानंद जी महाराज ने भक्त की बात सुनकर कहते हैं इसे प्रेम न बोलो. यह प्रेम नहीं स्वार्थ है, मोह है. इसे प्रेम बोलकर प्रेम शब्द का अपमान न करें, प्रेम की बेइज्जती न करें, क्योंकि प्रेम विशुद्ध होता है. प्रेम में प्रेमी अपने जान को बाजी लगाकर अपने प्रियतम को रिझाने की कोशिश करता है.

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  • प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि शरीर से आकर्षित करके काम वासना, भोग और स्वार्थ को प्रेम शब्द से पारिभाषित नहीं करना चाहिए. वे कहते हैं कि सच्चा प्रेम सिर्फ भगवान से मिल सकता है. किसी मनुष्य से नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्ति हमको जानता ही नहीं तो वह प्रेम कैसे करेगा.

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