Gita Updesh: मुसीबत में फंसे हैं तो श्री-कृष्ण से सीख लें ये 5 मंत्र, शांत रहकर दुश्मनों को कर देंगे चित्त
Gita Updesh: गीता उपदेश हमें सिखाते हैं कि संकट में खुद को स्थिर कैसे रखा जाए. महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो 5 मंत्र दिए, वे आज भी हर मुश्किल में मानसिक मजबूती, शांत मन और सही निर्णय लेने की ताकत देते हैं. जन्माष्टमी 2025 पर जानें ये जीवन बदलने वाले उपदेश.
Janmashtami 2025: महाभारत में जब अर्जुन संकट में पड़े, तो उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को याद किया. श्रीकृष्ण ने न सिर्फ उन्हें हिम्मत दी, बल्कि गीता के अमर उपदेश देकर उनके मन को स्थिर किया और युद्ध जीतने का मार्ग दिखाया. ठीक उसी तरह, जब हमारी जिंदगी में संकट, मुश्किल या तनाव आता है, तो हम भी श्रीकृष्ण को याद करते हैं. लेकिन सच यह है कि किसी भी कठिन परिस्थिति से निकलने में सबसे अहम भूमिका होती है खुद को स्थिर बनाए रखने की. 16 अगस्त को देशभर में जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस खास अवसर पर आइए जानते हैं, गीता के वे उपदेश जो आपको कठिन समय में मानसिक रूप से मजबूत और स्थिर रहने की ताकत देंगे.
स्थिति को स्वीकार करें, भागें नहीं
गीता के अध्याय 2, श्लोक 47 में कृष्ण ने कहा ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन.’ इसका अर्थ है कि हमें अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, न कि उसके परिणाम से डरना चाहिए. संकट में सबसे पहले यह स्वीकार करें कि समस्या है और उसे हल करना है. भागने या डरने से स्थिति और बिगड़ सकती है.
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मन को शांत करने के लिए ध्यान और प्रार्थना करें
जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की भक्ति और भजन-स्मरण केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मानसिक स्थिरता का एक तरीका भी है. संकट के समय 5-10 मिनट ध्यान करें, गहरी सांस लें और मन को शांत करने की कोशिश करें. इससे निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है.
सही सलाह और मार्गदर्शन लें
अर्जुन ने जब युद्धभूमि में अपने मन की दुविधा कृष्ण से साझा की, तभी उन्हें सही मार्ग मिला. इसी तरह, कठिन समय में भरोसेमंद लोगों से सलाह लें. कभी-कभी बाहरी दृष्टिकोण हमें बेहतर रास्ता दिखा सकता है.
डर पर नियंत्रण के लिए सकारात्मक सोच अपनाएं
गीता में कृष्ण ने कहा है कि ‘जो मन को जीत लेता है, वह संसार को जीत लेता है.’ संकट में डर को अपने मन पर हावी न होने दें. इसके लिए खुद को लगातार यह याद दिलाएं कि हर स्थिति अस्थायी है और इसका हल जरूर निकलेगा. सकारात्मक सोच से मानसिक ताकत बढ़ती है.
छोटे-छोटे कदम उठाएं
कठिन समय में बड़े-बड़े कदम उठाने से बेहतर है कि छोटे-छोटे कदम उठाएं. समस्या को टुकड़ों में बांटकर हल करें. गीता का संदेश है कि कर्म करते रहें, धीरे-धीरे रास्ता खुद खुलने लगेगा.
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