Tulsi Vivah At Home: घर पर कैसे करें तुलसी विवाह? जानिए विधि, भोग और नियम

Tulsi Vivah At Home: ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से घर में सौभाग्य, सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है. अविवाहित कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है, और विवाहित महिलाओं का दांपत्य जीवन सुखमय बना रहता है. तुलसी विवाह के दिन घरों में पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण का विशेष आयोजन किया जाता है.

By Prerna | November 2, 2025 7:50 AM

Tulsi Vivah At Home: तुलसी विवाह हिंदू धर्म का एक पवित्र और शुभ पर्व है, जिसे हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है, के दिन मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के जागरण के साथ ही तुलसी माता (देवी वृंदा) का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से किया जाता है. यह पर्व धार्मिक आस्था, भक्ति और पारिवारिक एकता का प्रतीक है. ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से घर में सौभाग्य, सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है. अविवाहित कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है, और विवाहित महिलाओं का दांपत्य जीवन सुखमय बना रहता है. तुलसी विवाह के दिन घरों में पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण का विशेष आयोजन किया जाता है. यह पर्व धार्मिक भावना और प्रेम से भरपूर उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो देवताओं और भक्तों के बीच श्रद्धा के बंधन को और गहरा करता है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आप घर में कैसे तुलसी विवाह कैसे कर सकते हैं.

तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व होता है?

तुलसी विवाह भगवान विष्णु (शालिग्राम) और देवी तुलसी (वृंदा) के दिव्य मिलन का प्रतीक है. इसे करने से घर में समृद्धि, सौभाग्य और सुख-शांति आती है. अविवाहित कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है और विवाहित महिलाओं का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.

घर पर तुलसी विवाह करने के लिए कौन-कौन सी चीजें चाहिए?

तुलसी का पौधा (सजाया हुआ)
शालिग्राम या भगवान विष्णु की मूर्ति
लाल और पीला कपड़ा
फूल, माला, रोली, चावल
दीया, धूप, कपूर
नारियल, सुपारी, पान
मिठाई (भोग के लिए — जैसे खीर, हलवा, पूड़ी)
कलश, गंगाजल, जलपात्र
छोटी सी वेदी या पूजा की चौकी

घर पर तुलसी विवाह की क्या विधि होती है?

सबसे पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें.
पूजा स्थान को साफ करें और तुलसी चौरा को फूलों से सजाएँ.
तुलसी माता को लाल चुनरी, चूड़ी, बिंदी, कुमकुम, हल्दी आदि से सजाएँ.
शालिग्राम जी (या भगवान विष्णु की मूर्ति) को तुलसी के पास रखें.
दोनों के बीच में फूल-माला से मंडप बनाकर विवाह जैसा माहौल तैयार करें.
दीपक जलाएँ और भगवान विष्णु तथा तुलसी माता का विवाह मंत्रों के साथ पूजन करें.
तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह प्रतीक रूप में करें — दोनों पर हल्दी, चावल, फूल चढ़ाएँ.
आरती करें और मिठाई या खीर-पूरी का भोग लगाएँ.
अंत में सभी परिवारजन आरती गाएँ और प्रसाद ग्रहण करें.

तुलसी विवाह के दिन भोग क्या लगाया जाता है?

पारंपरिक रूप से खीर, हलवा, पूरी, और पान-सुपारी का भोग लगाया जाता है. कुछ लोग पंचामृत भी अर्पित करते हैं.

तुलसी विवाह के नियम क्या है?

व्रतधारी को एक दिन पहले सात्विक भोजन करना चाहिए.
विवाह के दिन मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन से परहेज़ रखें.
विवाह में परिवार के सभी सदस्य शामिल होकर भजन-कीर्तन करें.

तुलसी विवाह करने से क्या लाभ होते है?

घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है.
विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं.
पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं और जीवन में शांति का वास होता है.

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