Gita Updesh: थके हारे मन में उम्‍मीद की किरण जगा देंगे श्रीमद्भगवद् गीता के ये 10 उपदेश

श्रीमद्भगवद् गीता के ये 10 उपदेश जीवन में सकारात्मक सोच और आत्मबल जगाने का स्रोत हैं. जानें कैसे गीता के ये विचार थके हुए मन में उम्मीद की नई किरण भरते हैं.

By Pratishtha Pawar | October 9, 2025 8:13 AM

Gita Updesh: जब जीवन में थकान, निराशा या असफलता हावी हो जाती है, तब श्रीमद्भगवद् गीता के उपदेश हमारे भीतर नई ऊर्जा और सकारात्मक सोच का संचार करते हैं.  जीवन का सार है जो हर परिस्थिति में सही मार्ग दिखाता है. पढें  गीता के वे 10 प्रेरणादायक उपदेश जो थके हुए मन में फिर से उम्मीद की ज्योत जला देंगे.

Gita Updesh: जीवन से निराशा कैसी? पढें श्रीमद्भगवद् गीता के 10 प्रेरणादायक उपदेश

गीता उपदेश

1. धन क्षीण हो जाने पर भी सदाचारी मनुष्य क्षीण नहीं मानता, किन्तु जिसका सदाचार चला गया उसे नष्ट ही मानना चाहिए, अतः सदाचार रक्षणीय है.

2. दुष्ट पुरुषों का स्वभाव मेघ के समान चंचल होता है, वे अकारण क्रोधित हो जाते हैं और अकारण ही प्रसन्न हो जाते हैं, अतः दुष्टसंग कदापि त्याग करना चाहिए.

3. सुख-दुःख, उत्पत्ति-विनाश, लाभ-हानि और जीवन-मरण सबको प्राप्त होती है, अतः इनमें हर्ष-शोक नहीं करना चाहिए और परमात्मा के विधान से सन्तुष्ट रहना चाहिए.

4. जो अर्थ प्राप्त करना चाहता है उसे धर्म का आचरण करना चाहिए, क्योंकि जैसे स्वर्ग से अमृत दूर नहीं है वैसे ही धर्म से अर्थ अलग नहीं है. धर्माचरण ही अर्थ का साधक है.

5. बुद्धिमान पुरुष को चाहिए कि वह अभिमानी, क्रोधी और धर्महीन मनुष्य से मित्रता न करे, इनके सम्बन्ध से केवल दुःख ही प्राप्त होता है.

6. जो प्रमादी, आलसी, नास्तिक, अजितेन्द्रिय और उत्साहरहित है उसके यहाँ लक्ष्मी निवास नहीं करती, वहाँ दरिद्रता निवास करती है.

7. उद्योग, संयम, दक्षता, सावधानी, धैर्य और सोच-विचार से कार्य आरम्भ करना – ये उन्नति के मूलमन्त्र हैं. इस प्रकार के गुणवान व्यक्ति को असफलता का मुख नहीं देखना पड़ता.

8. तपस्वियों का बल तप, विद्वानों का बल वेद, असाधुओं का बल हिंसा तथा गुणवानों का बल क्षमा है. और जहाँ क्षमा है वहाँ समस्त बल स्वयं आ जाते हैं.

9. जो व्यवहार अपने प्रतिकूल न हो, उसे दूसरों के साथ न करें. यही धर्म है, अर्थात हमें दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम अपने लिए चाहते हैं.

10. जो धूर्त, आलसी, डरपोक, क्रोधी, अभिमानी और नास्तिक है, उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए. ऐसे लोगों पर विश्वास करने से केवल दुःख की प्राप्ति होती है.

श्रीमद्भगवद् गीता के ये उपदेश जीवन में अनुशासन, संयम और आत्मबल की भावना को जगाते हैं. इन्हें अपनाने से मनुष्य हर परिस्थिति में स्थिर, शांत और संतुष्ट रह सकता है.

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