Gita Updesh: जो स्वयं किसी के लिए बुरा नहीं सोचता उसे दुनिया क्या ही गलत ठहराएगी

Gita Updesh: जब नीयत साफ हो, तो कोई भी आपको गलत नहीं साबित कर सकता. पढ़ें गीता का प्रेरणादायक उपदेश.

By Pratishtha Pawar | June 9, 2025 11:24 AM

Gita Updesh: हमारे जीवन में ऐसा कई बार होता है जब लोग हमें गलत समझ लेते हैं, हमारी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं या फिर दूसरों को भी हमारे बारे में गलत राय देने की कोशिश करते हैं. लेकिन श्रीमद्भगवद्गीता में जो गूढ़ ज्ञान है, वह यही सिखाता है कि व्यक्ति का चरित्र और नीयत अगर शुद्ध हो, तो संसार के किसी भी व्यक्ति को उसे बुरा सिद्ध करने का कोई अधिकार नहीं है.

Gita Updesh Quotes: गीता के अनमोल वचन

“यदि आप चाहते हैं कि कोई भी आपको बुरा न समझे, तो दूसरों को भी आपको बुरा समझाने का कोई अधिकार नहीं है. किसी को बुरा न समझने से भलाई भीतर से प्रकट होती है.”

– श्रीमद्भगवद्गीता उपदेश

Bhagavad Gita Life Lessons: भीतर की भलाई का महत्व

Gita updesh

गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शक है. उसमें व्यक्त एक-एक श्लोक हमारे मानसिक और आध्यात्मिक जीवन को नया आकार देता है. उपरोक्त विचार उसी गूढ़ता का हिस्सा है. यदि हम स्वयं किसी के लिए बुरा नहीं सोचते, उन्हें बुरा नहीं कहते, तो हमारे भीतर जो शुद्धता और सरलता है, वह एक दिन हमारे चारों ओर की दुनिया को भी दिखने लगती है.

Bhagavad Gita Teachings on Self-control: मन, वाणी और कर्म को कैसे नियंत्रित रखा जाए

यह उपदेश हमें यह भी सिखाता है कि अपने मन, वाणी और कर्म को कैसे नियंत्रित रखा जाए. यदि कोई व्यक्ति केवल दूसरों को नीचा दिखाने के लिए किसी तीसरे के सामने किसी की छवि बिगाड़ने का प्रयास करता है, तो वह स्वयं अपने कर्मों के जाल में उलझता चला जाता है.

Gita Teachings on Judgement: भीतर की भलाई ही सच्चा कवच है

Gita updesh: जो स्वयं किसी के लिए बुरा नहीं सोचता उसे दुनिया क्या ही गलत ठहराएगी 3

आज के समय में जब सोशल मीडिया, अफवाहें और झूठी कहानियां किसी की छवि खराब करने में देर नहीं लगातीं, वहां यह ज्ञान और भी प्रासंगिक हो जाता है. अगर आपकी नीयत साफ है और आप किसी के लिए गलत नहीं सोचते, तो धीरे-धीरे सच्चाई सभी के सामने आ जाती है.

श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को यही सिखाया था –

“अपने कर्म करते जाओ, फल की चिंता मत करो.” और जब आपका कर्म सच्चा होता है, तो आपको कोई बुरा नहीं ठहरा सकता.

इस उपदेश से यही सीख मिलती है कि हम दूसरों की सोच पर नहीं, बल्कि अपने कर्मों पर ध्यान दें. अगर हम भीतर से नेक हैं, तो देर-सबेर वह अच्छाई संसार के सामने आ ही जाती है. और तब किसी को भी अधिकार नहीं होता कि वह हमें बुरा कह सके.

“भीतर की भलाई वह प्रकाश है, जिसे कोई अंधेरा भी नहीं छुपा सकता.”

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