गलत फैसलों से बचना है? निर्णय लेते समय गीता के ये उपदेश जरूर याद रखें
Gita Updesh: जीवन में फैसले सोच-समझकर लेने चाहिए. जल्दबाजी या क्रोध में लिया गया निर्णय अक्सर गलत साबित होता है. श्रीमद्भगवद्गीता सिखाती है कि आत्ममंथन, धैर्य, अनुभव और आत्मज्ञान से लिए गए फैसले ही सही दिशा देते हैं और पछतावे से बचाते हैं.
Gita Updesh: हमारे जीवन में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब हमें जरूरी निर्णय लेने पड़ते हैं. कभी ये फैसले करियर से जुड़े होते हैं, कभी परिवार या रिश्तों से, तो कभी हमारे व्यक्तिगत जीवन से. लेकिन अक्सर देखा गया है कि लोग जल्दबाजी या भावनाओं के बहाव में आकर ऐसे कदम उठा लेते हैं, जिनका परिणाम बाद में नुकसानदायक साबित होता है. श्रीमद्भगवद्गीता हमें सिखाती है कि सही निर्णय लेने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
क्रोध में न लें निर्णय
गीता के अनुसार जब व्यक्ति गुस्से में होता है, तो उसकी सोच और समझ पर पर्दा पड़ जाता है. ऐसे समय लिया गया निर्णय विवेकहीन और गलत साबित होता है. इसलिए यह आवश्यक है कि जब भी कोई बड़ा फैसला लेना हो, तब मन पूरी तरह शांत हो.
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अनुभव का सहारा लें
श्रीमद्भगवद्गीता में कहा गया है कि महत्वपूर्ण फैसले अकेले लेने के बजाय दूसरों से विचार-विमर्श करना बुद्धिमानी है. घर के बुजुर्गों या जानकार लोगों की सलाह से स्थिति को अलग दृष्टिकोण से देखने का मौका मिलता है और सही रास्ता चुनने में आसानी होती है.
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जल्दबाजी न करें
श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है कि हर निर्णय से पहले आत्ममंथन करना चाहिए. सोच-समझकर लिया गया फैसला लंबे समय तक स्थायी लाभ देता है, जबकि हड़बड़ी में उठाया गया कदम अक्सर परेशानी बढ़ा देता है.
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स्वयं की पहचान करें
श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि निर्णय लेने से पहले व्यक्ति को अपनी क्षमताओं, सीमाओं और वास्तविक इच्छाओं को पहचानना चाहिए. जब हम खुद को अच्छे से जानते हैं, तभी अपने लिए सही चुनाव कर पाते हैं.
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