Gita Updesh: सावधान! इन 4 चीजों पर घमंड बना सकता है पतन का कारण
Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शक है. महाभारत में अर्जुन की दुविधा दूर करने हेतु श्रीकृष्ण ने उपदेश दिए. गीता सिखाती है कि अहंकार मनुष्य का शत्रु है और ज्ञान, रूप, धन व कुल पर घमंड जीवन को नष्ट कर देता है.
Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता को केवल धार्मिक ग्रंथ के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि इसे जीवन का वास्तविक मार्गदर्शक माना गया है. महाभारत के युद्धभूमि में जब अर्जुन अपने धर्म और कर्तव्य को लेकर भ्रमित हो गए, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें जो उपदेश दिए, वही गीता के रूप में संकलित हैं. गीता का ज्ञान आज भी हर व्यक्ति को सही दिशा देता है और यह समझाता है कि अहंकार इंसान का सबसे बड़ा शत्रु है. श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है कि इंसान को कुछ चीजों पर भूलकर भी घमंड नहीं करना चाहिए, जो व्यक्ति इन चीजों पर घमंड करता है, उसकी पूरी जिंदगी तहस-नहस हो जाती है.
ज्ञान पर अभिमान
श्रीकृष्ण ने बताया है कि ज्ञान तभी सार्थक है जब वह नम्रता के साथ जुड़ा हो. जो व्यक्ति अपने ज्ञान पर घमंड करता है, उसका विवेक धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है. अहंकार से जुड़ा ज्ञान टिकाऊ नहीं होता और वह व्यक्ति को प्रगति से रोक देता है.
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सौंदर्य का अभिमान
गीता उपदेश के अनुसार, बाहरी रूप-रंग क्षणिक है. समय के साथ यह ढल जाता है, लेकिन आत्मा की पवित्रता जीवन भर बनी रहती है. इसलिए इंसान को अपनी आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करना चाहिए, न कि शारीरिक सौंदर्य पर अभिमान करना चाहिए.
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धन का अभिमान
श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार, पैसा स्थायी नहीं होता. आज जिसके पास है, कल किसी और के पास हो सकता है. इसलिए श्रीकृष्ण कहते हैं कि धन को लेकर घमंड करना व्यर्थ है. धन को केवल साधन मानकर उसका सदुपयोग करना चाहिए, क्योंकि अहंकार जीवन में अशांति और दुख लाता है.
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कुल का अभिमान
गीता के मुताबिक, किसी बड़े कुल या प्रतिष्ठित परिवार में जन्म लेना अपने आप में महानता का प्रमाण नहीं है. यदि व्यक्ति इसे लेकर दूसरों को नीचा दिखाए तो उसका सम्मान घट जाता है. असली श्रेष्ठता सद्गुण और अच्छे कर्मों से ही प्राप्त होती है.
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