क्या परलोक में मिलते हैं हमारे परिजन? जानें प्रेमानंद जी महाराज का जवाब
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संगों और प्रवचनों से लोगों को भक्ति और अध्यात्म की राह दिखा रहे हैं. युवाओं में उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है. हजारों लोग उनके दर्शन के लिए कतारों में खड़े रहते हैं, जबकि सोशल मीडिया पर भी लाखों अनुयायी उनकी वाणी से प्रेरणा ले रहे हैं.
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संगों और प्रवचनों से लोगों को अध्यात्म, भक्ति और जीवन के मूल्यों की ओर प्रेरित कर रहे हैं. उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, खासकर युवाओं में. हर दिन हजारों लोग उनके दर्शन और प्रवचन सुनने के लिए उत्साहित रहते हैं. लोग पूरी रात कतारों में खड़े होकर टोकन लेते हैं, जिससे सुबह सत्संग में शामिल हो सकें. सोशल मीडिया पर भी लाखों अनुयायी उनकी वाणी से जुड़े हैं और उनके उपदेशों से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अनुभव कर रहे हैं.
मृत्यु के बाद क्या होता है?
हाल ही में प्रेमानंद जी महाराज का एक वीडियो चर्चा में आया जिसमें एक भक्त ने पूछा कि मृत्यु के बाद क्या हमारे परिजन परलोक में मिलते हैं या यह संबंध केवल इस जीवन तक सीमित है. इस पर महाराज जी ने कहा कि यह संसार एक नाटक मात्र है. मृत्यु के तुरंत बाद जीव नई योनि में प्रवेश करता है. वहां न माता-पिता होते हैं, न अन्य रिश्ते. जैसे आपको पिछली योनि की स्मृति नहीं है, वैसे ही मृत्यु के पश्चात सभी संबंध समाप्त हो जाते हैं.
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क्या भाग्य बदला जा सकता है?
एक अन्य वीडियो में एक भक्त ने प्रश्न किया कि क्या भाग्य बदला जा सकता है. प्रेमानंद जी महाराज ने उत्तर दिया कि हां, लेकिन केवल पुण्य कार्यों से. उन्होंने कहा कि नाम जप, तीर्थ यात्रा, परोपकार और धर्म कर्म ही ऐसे साधन हैं, जिनसे भाग्य परिवर्तन संभव है. केवल परिश्रम या शारीरिक श्रम से भाग्य नहीं बदलता. अगर कोई व्यक्ति पुण्य अर्जित करता है, तो उसका भाग्य निश्चित ही सुधरता है.
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