Covid19: वैक्सीन के बाद अब भारत में बनेंगे कोरोना के टैबलेट, Merck की दवा है इतना प्रभावी

Covid19: अमेरिका की कंपनी मर्क (Merck & Co) की यह गोली कोरोना महामारी से लड़ने में प्रभावी है. कंपनी का दावा है कि इस एंटीवायरल दवा के बाद लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 3, 2021 5:17 PM

वैश्विक महामारी कोरोना (Coronavirus Pandemic) जब पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहा था, तब भारत ने इसका स्वदेशी वैक्सीन (Vaccine) तैयार किया था. अब जल्दी ही कोरोना (Covid19) संक्रमण का इलाज करने वाले टैबलेट का निर्माण भी शुरू करेगा. हालांकि, यह दवा भारत में विकसित नहीं हुई है. न ही भारतीय कंपनी की इस दवा के ट्रायल में कोई भूमिका है. अमेरिकी कंपनी मर्क ने एंटीवायरल गोली (Pill) बनायी है.

अमेरिका की कंपनी मर्क (Merck & Co) की यह गोली कोरोना महामारी से लड़ने में प्रभावी है. कंपनी का दावा है कि इस एंटीवायरल दवा के बाद लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह दवा कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाली मौत के आंकड़ों को भी आधा कर देगा.

अमेरिकी कंपनी मर्क ने कहा है कि वह भारत में जेनरिक दवा बनाने वाली कंपनियों को इसका लाइसेंस देगी, ताकि गरीब और विकासशील देशों के लोगों को भी यह दवा उपलब्ध हो सके. अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि सरकार कम से कम 35 लाख ट्रीटमेंट कोर्स खरीदेगी.

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अभी प्रयोग के दौर से गुजर रही इस दवा के बारे में कहा जा रहा है कि गंभीर रूप से कोरोना से संक्रमित लोगों को भी इससे राहत मिलेगी. अगर ट्रायल के बाद कंपनी का दावा सही साबित हो जाता है और इस दवा से इलाज की अनुमति मिल जाती है, तो वैश्विक महामारी से निबटने में बहुत बड़ा हथियार साबित होगी.

मर्क और उसकी सहयोगी कंपनी रिजबैक बायोथेराटिक्स (Ridgeback Biotherapeutics) ने कहा है कि वे जल्दी ही अमेरिका में इस दवा ‘मोलनुपिरावीर’ (Molnupiravir) के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति मांगेंगे. साथ ही दुनिया भर में इसके इस्तेमाल के लिए संबंधित प्राधिकारों को आवेदन देंगे.

जॉन हॉपकिंस सेंटर फॉर हेल्थ सिक्यूरिटी के सीनियर स्कॉलर अमेश अदालजा कहते हैं कि खायी जाने वाली एक एंटीवायरल गोली अगर इतना प्रभावशाली साबित होता है, तो यह गेमचेंजर साबित होगा. कंपनी के अधिकारियों ने कहा है कि नयी दवा वायरस के जेनेटिक कोड को बिगाड़ देता है.

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इससे पहले, गिलीड साइंसेज इन्कॉर्पोरेशन की एंटीवायरल मेडिसिन ‘रेमडेसिवीर’ और जेनरिक स्टेरॉयड ‘डेक्सामिथेसोन’ बनायी थी. लेकिन, ये दोनों दवाएं किसी भी कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को तभी दी जाती हैं, जब वह संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती होता है. ऐसे में मर्क्स की गोली कोरोना के इलाज कि दशा और दिशा दोनों बदल देने की क्षमता रखता है. ऐसा कहना है मर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रॉबर्ट डेविस का.

टैबलेट बनाने वाली इस कंपनी ने कहा है कि कोरोना वायरस का इलाज इस वक्त बेहद जटिल है. अगर हमारी गोली को मंजूरी मिल जाती है, तो यह बिल्कुल आसान हो जायेगी. इसके तीसरे चरण के ट्रायल के परिणाम काफी उत्साहजनक हैं. इसके रिजल्ट आते ही कंपनी के शेयर में 9 फीसदी का उछाल आ गया.

स्विस कंपनी भी बना रही टैबलेट

फाइजर और स्विट्जरलैंड की दवा बनाने वाली कंपनी रोचे होल्डिंग्स एजी भी कोरोना के इलाज के लिए एंटीवायरल टैबलेट बनाने में जुटी हुई है. ज्ञात हो कि इस वर्तमान में सिर्फ एंटीबॉडी कॉकटेल इंजेक्शन को मंजूरी दी गयी है. वह भी उन मरीजों के लिए, जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं.

‘मोलनुपिरावीर’ की सफलता

मर्क ने 775 मरीजों पर ‘मोलनुपिरावीर’ का शुरुआती परीक्षण किया है. इसमें 7.3 फीसदी को पांच दिन तक दिन में दो बार ‘मोलनुपिरावीर’ दी गयी. अस्पताल में भर्ती उन मरीजों में से 29 दिन के इलाज के बाद किसी की मौत नहीं हुई. दूसरी तरफ, अस्पताल में भर्ती 14.1 फीसदी अन्य मरीज थे. इस ग्रुप में 8 लोगों की मौत हो गयी.

Posted By: Mithilesh Jha

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