Chanakya Niti: काम बनते ही छोड़ जाते हैं लोग यह स्वार्थ नहीं बल्कि एक नियम – आचार्य चाणक्य

क्या आपने कभी सोचा है लोग काम बनते ही क्यों छोड़ जाते हैं? चाणक्य नीति बताती है कि यह स्वार्थ नहीं बल्कि प्रकृति का नियम है जिसे पढ़कर आप भी रह जाएंगे हैरान.

By Pratishtha Pawar | September 10, 2025 9:00 AM

Chanakya Niti:  आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में जीवन, समाज और संबंधों के गहरे रहस्यों को उजागर किया है. कई बार लोग यह सोचते हैं कि काम निकल जाने पर साथ छोड़ देना स्वार्थ है, लेकिन चाणक्य के अनुसार यह स्वार्थ नहीं बल्कि प्रकृति का एक नियम है. जैसे ही उद्देश्य पूरा होता है, मनुष्य आगे बढ़ने लगता है और यह प्रवृत्ति समाज के हर स्तर पर दिखाई देती है.

Chanakya Niti Thoughts: आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार

गृहीतं दक्षिणां विप्रास्त्यजंति यजमानकम्.
प्राप्तविद्या गुरुः शिष्यं दध्याज्ज्येष्ठं गृहानिव
..

Chanakya Niti

अर्थात् – ब्राह्मण दक्षिणा लेने के बाद यजमान को छोड़ देता है, गुरु विद्या देने के बाद शिष्य को छोड़ देता है और जब जंगल में आग लग जाती है तो वहां के पशु भी वन को त्यागकर भाग जाते हैं.

Chanakya Niti in Hindi: कौन लोग छोड़ जाते हैं और क्यों?

चाणक्य बताते हैं कि जैसे ही कोई उद्देश्य पूरा हो जाता है, तब तक साथ देने वाला व्यक्ति या वस्तु हमें छोड़कर आगे बढ़ जाती है. उदाहरण के लिए:

  • ब्राह्मण यजमान के पास तब तक रहता है जब तक दक्षिणा नहीं मिलती.
  • गुरु शिष्य के साथ तब तक रहता है जब तक वह शिक्षा प्राप्त करता है.
  • जंगल का पशु वहां तब तक रहता है जब तक उसे सुरक्षा और भोजन मिलता है. आग लगते ही वह वहां से निकल जाता है.

इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि

साथ निभाना किसी भावनात्मक कारण से नहीं, बल्कि आवश्यकता और उद्देश्य की पूर्ति तक ही रहता है.

Acharya Chanakya Rules for Life: चाणक्य के अनुसार यह कैसा नियम है?

चाणक्य इसे स्वार्थ नहीं मानते, बल्कि इसे प्रकृति का शाश्वत नियम बताते हैं. उनका कहना है कि यह दुनिया परिणाम और उद्देश्य आधारित है. जब तक किसी संबंध या परिस्थिति में लाभ और उद्देश्य की पूर्ति होती है, तब तक वह संबंध बना रहता है. जैसे ही लक्ष्य पूरा हो जाता है, लोग स्वतः ही आगे बढ़ जाते हैं.

चाणक्य नीति हमें यह सिखाती है कि जीवन में किसी से अधिक अपेक्षाएं नहीं रखनी चाहिए. लोग काम पूरा होने पर साथ छोड़ दें, इसे धोखा न मानकर एक नियम समझना चाहिए. इससे व्यक्ति के मन में किसी के प्रति कटुता नहीं आती और वह जीवन में संतुलन बनाए रखता है.

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