Chanakya Niti: अपमान को दिल में दबाकर जीवभर दुखी रहने की न करें गलती, आचार्य चाणक्य से सीखें जवाब देने का तरीका

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में कुछ ऐसे तरीके बताये हैं जिन्हें अपनाकर आप किसी भी तरह के अपमान का करारा जवाब काफी अच्छे से दे सकेंगे. आज इस आर्टिकल में हम आपको आचार्य चाणक्य के बताये इन्हीं तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं.

By Saurabh Poddar | October 13, 2025 9:36 PM

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को अपने समय के सबसे ज्ञानी और बुद्धिमान पुरुष के तौर पर भी जाना जाता है. अपने जीवनकाल के दौरान उन्होंने कई तरह की बातें बताई थी जिन्हें आगे चलकर चाणक्य नीति के नाम से भी जाना जाने लगा. अपनी नीतियों में आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसे तरीकों का भी जिक्र किया जिनका इस्तेमाल आप उस समय कर सकते हैं जब कोई भी व्यक्ति जीवन में आपका अपमान करे या फिर नीचा दिखाए. जब आप इन तरीकों को अपनाएंगे तो आपको अपमान को अपने दिल में दबाकर नहीं रखना पड़ेगा बल्कि आप सामने वाले को इस अपमान का करारा जवाब भी दे पाएंगे. तो चलिए आचार्य चाणक्य से सीखते हैं अपमान का जवाब देने का तरीका.

सफलता से दें अपमान का जवाब

आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर आप अपमान का करारा जवाब देना चाहते हैं तो इसके लिए आपको खुद को काफी ज्यादा सफल बनाना पड़ेगा. जब आप जीवन में काफी ज्यादा सफल और काबिल हो जाते हैं तो ऐसे में जिसने आपका अपमान किया है उसी को आपकी तारीफ करनी पड़ जाती है. आपको जीवन में सफल होते देखकर सामने वाले को अपने गलती का एहसास हो जाता है.

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अच्छे बर्ताव से दें अपमान का जवाब

जब भी कोई आपका अपमान करे तो ऐसे में आपको गुस्से में आकर उसे जवाब देने से बचना चाहिए. अगर आप देख रहे हैं कि सामने वाला इंसान आपकी बार-बार बेइज्जती कर रहा है तो ऐसे में सबसे पहले खुद को शांत करें और प्यार भरी भाषा से और अच्छे तरीके से उससे बात करें. जब आप ऐसा करते हैं तो सामने वाले को अपनी गलती दिखने लगती है.

अपमान को चैलेंज की तरह लेना सीखें

आचार्य चाणक्य के अनुसार जब भी कोई आपका अपमान करे तो आपको उसे अपने दिल से लगाकर नहीं रखना है बल्कि इसका इस्तेमाल एक मोटिवेशन की तरह करना चाहिए. खुद को धीरे-धीरे मजबूत बनाने की शुरुआत करें और जितना हो सके जीवन में सफलता पाने की ही कोशिश करें.

कब अपमान को सहने वाला बन जाता है मुर्ख?

आचार्य चाणक्य की अगर माने तो अगर कोई भी इंसान अपमान को सिर्फ एक बार सहता है तो वह बुद्धिमान कहलाता है. वहीं, जब अपमान को दो बार सहता है तो लोग उसे महान समझते हैं. लेकिन, अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो बार-बार अपमान होने के बाद भी सुधर या फिर संभल नहीं रहे हैं तो समाज में आपको एक मुर्ख व्यक्ति से ज्यादा कुछ नहीं समझा जाएगा. आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर आपका बार-बार अपमान किया जा रहा है तो आपको इसे अपने दिल में दबाकर दर्द नहीं सहना चाहिए बल्कि इस तरह के किसी भी अपमान का करारा जवाब देना चाहिए.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.