Chanakya Niti: अगर ये 7 आदतें आज छोड़ दीं, तो जिंदगी की आधी परेशानियां खुद खत्म हो जाएंगी

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई 7 ऐसी आदतें, जिन्हें अगर समय रहते छोड़ दिया जाए, तो जिंदगी की आधी परेशानियां खुद-ब-खुद खत्म हो सकती हैं. जानिए वह सूत्र कौन से हैं जिसे जिंदगी बदल सकता है.

By Sameer Oraon | December 31, 2025 7:50 PM

Chanakya Niti : हर इंसान अपनी कुछ खराब आदतों की वजह से परेशान रहता है. लेकिन जिंदगी की कुछ ऐसी चीजें हैं जिसे वक्त रहते छोड़ना बेहद जरूरी होता है, नहीं तो जिंदगी में बर्बादी तय है. वह आदतें ऐसी है जिसे छोड़ दिया गया तो जिंदगी की आधी परेशानियां खुद ब खुद हल हो जाएंगी. आज हम आपको उन 7 आदतों के बारे में बताएंगे जिन्हें केवल हम नहीं बल्कि आचार्य चाणक्य भी जल्द से जल्द छोड़ने को कहते हैं. चाणक्य उन 7 आदतों का उल्लेख करते हुए कहा था कि में अगर कोई इंसान इस चीज को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उतार लें, तो जीवन की आधी परेशानियां अपने आप खत्म हो सकती हैं.

आलस्य छोड़ना सबसे जरूरी

चाणक्य नीति के अनुसार, आलसी व्यक्ति न तो समय की कद्र करता है और न ही अवसर की. आलस्य इंसान को धीरे-धीरे पीछे धकेल देता है. अगर आप आज से काम टालने की आदत छोड़ दें, तो सफलता का रास्ता खुद ब खुद आसान हो जाएगा.

बिना सोचे-समझे बोलना

चाणक्य कहते हैं कि इंसान के शब्द तीर की तरह होते हैं, जो एक बार निकल जाएं तो वापस नहीं आते. बेवजह बोलना, गुस्से में जवाब देना या दूसरों को नीचा दिखाने वाली बातें करना रिश्तों और सम्मान दोनों को नुकसान पहुंचाता है.

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हर किसी पर भरोसा करना

चाणक्य नीति में साफ कहा गया है कि अंधा भरोसा कई बार धोखे का कारण बनता है. हर व्यक्ति अपनी सोच और स्वार्थ के साथ आता है. इसलिए भरोसा करें, लेकिन समझदारी के साथ.

खर्च और बचत में लापरवाही

जो इंसान कमाई करता है, लेकिन बचत नहीं करता, उसे भविष्य में पछताना पड़ता है. चाणक्य नीति आर्थिक अनुशासन पर खास जोर देती है. फिजूलखर्ची छोड़ना और भविष्य के लिए बचत करना बेहद जरूरी है.

गुस्से पर नियंत्रण न रखना

चाणक्य के अनुसार, गुस्सा इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है. गुस्से में लिया गया फैसला जीवनभर का नुकसान कर सकता है. संयम और धैर्य ही इंसान को सही निर्णय लेने में मदद करते हैं.

दूसरों से खुद की तुलना करना

चाणक्य नीति सिखाती है कि हर इंसान की क्षमता और परिस्थितियां अलग होती हैं. दूसरों से खुद की तुलना करना ईर्ष्या और निराशा को जन्म देता है. अपनी क्षमता और मेहनत पर भरोसा रखें.

गलत संगति में रहना

चाणक्य के अनुसार, इंसान जैसी संगति करता है, वैसा ही बन जाता है. गलत संगत अच्छी सोच और आदतों को कमजोर कर देती है. इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाना जरूरी है, जो नकारात्मक सोच रखते हों.

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