Chanakya Niti: जीती जागती मृत्यु के समान है ये 4 चीजें – कहीं आपके आस-पास तो नहीं…
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने बताया है कि ये 4 चीजें इंसान को जीते जी मौत का एहसास कराती हैं, जानें कौन सी हैं वो खतरनाक स्थितियां.
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन में कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो व्यक्ति को जीते जी मृत्यु का अनुभव कराती हैं. आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी जीवन का मार्गदर्शन करती हैं. उन्होंने समाज और व्यक्ति के सुख-दुख, सफलता-असफलता और जीवन प्रबंधन को लेकर गहन विचार प्रस्तुत किए हैं. चाणक्य नीति में बताया गया है कि कुछ स्थितियां और रिश्ते ऐसे होते हैं जो मनुष्य के जीवन को धीरे-धीरे खोखला बना देते हैं.
यह स्थितियां इंसान को भीतर से तोड़ देती हैं और उसका जीवन जीते जी मृत्यु के समान हो जाता है. इसलिए इनसे हमेशा बचकर रहना चाहिए और यदि जीवन में ऐसी परिस्थितियां आ भी जाएं, तो उन्हें तुरंत त्याग देना चाहिए.
Chanakya Niti in Hindi: चाणक्य नीति के अनमोल विचार
“चाणक्य कहते हैं कि ये चार चीजें किसी भी व्यक्ति के लिए जीते-जीती मृत्यु के समान हैं – दुश्चरित्र पत्नी, दुष्ट मित्र, और जवाब देने वाला अर्थात् मुंह लगा नौकर। इन सबका त्याग कर देना चाहिए.”
– आचार्य चाणक्य
Chanakya Niti: कौन सी हैं वे चार चीजें जो मृत्यु समान मानी गई हैं?
दुश्चरित्र पत्नी (Bad Character Wife)
चाणक्य कहते हैं कि यदि किसी पुरुष की पत्नी दुश्चरित्र है, तो उसका जीवन नर्क के समान हो जाता है. ऐसी पत्नी के कारण न केवल घर का सुख-शांति नष्ट होती है, बल्कि समाज में भी व्यक्ति का अपमान होता है. यह स्थिति जीवन को बोझ बना देती है.
दुष्ट मित्र (Evil Friend)
मित्रता जीवन का सबसे बड़ा सहारा होती है, लेकिन यदि मित्र दुष्ट हो तो वह व्यक्ति को धीरे-धीरे बर्बादी की ओर धकेल देता है. दुष्ट मित्र हमेशा अपने स्वार्थ के लिए साथ रहता है और समय आने पर धोखा देकर सबसे बड़ी चोट करता है. चाणक्य का मानना है कि ऐसे मित्र का होना, जीते जी मृत्यु झेलने के समान है.
मुंह लगाने वाला नौकर (Answering Servant)
चाणक्य नीति के अनुसार, घर का नौकर यदि मालिक से हमेशा उलझता हो, बहस करता हो और आदेशों की अवहेलना करता हो, तो वह घर का माहौल बिगाड़ देता है. ऐसे नौकर से परिवार की प्रतिष्ठा और व्यवस्था दोनों प्रभावित होती हैं. यह भी जीवन को कष्टमय बना देता है.
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मुसीबत में सहारा न देने वाला संबंधी (Relative Who Doesn’t Help in Need)
रिश्तेदार या संबंधी का असली स्वरूप मुसीबत के समय में सामने आता है. चाणक्य के अनुसार, यदि कोई संबंधी कठिन समय में साथ नहीं देता और केवल दिखावे की बात करता है, तो उसका होना व्यर्थ है. ऐसे संबंधी जीवन को दुख और अपमान से भर देते हैं.
चाणक्य नीति हमें यह सिखाती है कि हमें अपने जीवन में रिश्तों और परिस्थितियों को बहुत सोच-समझकर स्वीकार करना चाहिए. दुश्चरित्र पत्नी, दुष्ट मित्र, मुंह लगाने वाला नौकर और मुसीबत में बेकार संबंधी- ये चारों चीजें जीवन को जीते जी मृत्यु के समान बना देती हैं. इनका त्याग ही सुखमय जीवन का उपाय है.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता
