World Schizophrenia Day: इस बीमारी में व्यक्ति बन जाता है अपना ही दुश्मन, दिखती हैं अदृश्य घटनाएं

World Schizophrenia Day 2020, person becomes his own enemy view & heard invisible powers बोकारो में स्किज़ोफ्रेनिया के मरीज की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. एक माह में डॉक्टर के पास पहुंचे 300 मनोरोगी में 45 स्किज़ोफ्रेनिया के मरीज होते हैं. ओपीडी में रोज दो से तीन स्किज़ोफ्रेनिया के मरीज पहुंच रहे हैं. आज यानी 24 मई को वर्ल्ड स्किज़ोफ्रेनिया दिवस है. इस साल का थीम है : डू व्हाट यू कैन डू टू फाइट स्टीगामा असोसीए‍टेड विथ स्किज़ोफ्रेनिया.

By SumitKumar Verma | May 24, 2020 8:23 AM

सुनील तिवारी

बोकारो : बोकारो में स्किज़ोफ्रेनिया के मरीज की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. एक माह में डॉक्टर के पास पहुंचे 300 मनोरोगी में 45 स्किज़ोफ्रेनिया के मरीज होते हैं. ओपीडी में रोज दो से तीन स्किज़ोफ्रेनिया के मरीज पहुंच रहे हैं. आज यानी 24 मई को वर्ल्ड स्किज़ोफ्रेनिया दिवस है. इस साल का थीम है : डू व्हाट यू कैन डू टू फाइट स्टीगामा असोसीए‍टेड विथ स्किज़ोफ्रेनिया. (Do what you can do to fight stigma associated with Schizophrenia).

स्किज़ोफ्रेनिया सोच से जुड़ी एक क्रोनिक डिजीज है, इसे थॉट डिसऑर्डर भी कहते हैं. इस स्थिति में ब्रेन वास्तविक चीजों से दूर हो जाता है. व्यक्ति अलग ही दुनिया में खोया रहता है, जो कि उसे वास्तविक लगती है. यह एक साइकोटिक बीमारी के लक्षण समय के साथ घटते और बढ़ते रहते हैं. स्किज़ोफ्रेनिया ब्रेन से संबंधित एक गंभीर रोग है. असर इंसान के व्यवहार और भावनाओं पर पड़ता है. इससे व्यक्ति अपने मन के भाव चेहरे पर प्रकट नहीं कर पाता है और कई केस में व्यक्ति के चेहरे और मन के भावों के बीच बहुत अधिक अंतर होता है.

महिला की अपेक्षा पुरूषों में पांच गुना अधिक

सदर अस्पताल के मनोचिकित्सक और इंडियन साईक्रेटिक सोसाइटी के सदस्य डॉ प्रशांत मिश्रा के अनुसार, एक हजार लोगों में से 3 लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं. भारत की बात करें तो वर्तमान में 35 से 40 लाख लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं. कहा : जब कभी जटिल किस्म के मनोरोगों की चर्चा होती है तो सबसे पहले स्किज़ोफ्रेनिया का नाम लिया जाता है. यह मानसिक बीमारी किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है. मनोविज्ञान की भाषा में ऐसी अवस्था को लॉस ऑफ ओरिएंटेशन कहा जाता है. महिला की अपेक्षा पुरूषों में यह बीमारी होने की संभावना पांच गुना अधिक होती है.

साइको-डायग्नॉस्टिक टेस्ट से जानकारी

डॉ प्रशांत मिश्रा ने बताया : आनुवंशिकता, परिवार का अति नकारात्मक माहौल, घर या ऑफिस से जुड़े किसी गहरे तनाव के कारण यह मनोरोग हो सकता है. शरीर में मौज़ूद केमिकल्स में बदलाव या असंतुलन की वज़ह से व्यक्ति इस समस्या का शिकार हो सकता है. बच्चों या टीनएजर्स को भी यह समस्या हो जाती है. सबसे पहले मरीज़ के परिवार वालों से लक्षणों के बारे में पूछा जाता है. फिर साइको-डायग्नॉस्टिक टेस्ट किया जाता है, जिससे यह मालूम हो जाता है कि व्यक्ति को किस प्रकार का स्किज़ोफ्रेनिया है. यह जांच हमेशा किसी प्रशिक्षित क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से करवानी चाहिए.

व्यक्ति अपना ही दुश्मन बन जाता है

डॉ प्रशांत ने कहा : अगर इस बीमारी के लक्षणों को अनदेखा करते हुए पेशंट को सही समय पर इलाज ना दिलाया जाए तो यह बीमारी इस हद तक बढ़ जाती है कि व्यक्ति अपना ही दुश्मन बन जाता है. और खुद को मारने का प्रयास करने लगता है. अगर व्यक्ति को समय पर इलाज ना मिले तो उसका फोकस खत्म हो जाता है. पढ़ाई, जॉब, करियर, फैमिली किसी भी चीज को लेकर वह प्लानिंग या काम कर ध्यान नहीं दे पाता है. इससे उसकी पर्सनल लाइफ लगभग खत्म हो जाती है. मरीज को यदि सही समय पर इलाज मिले तो व्यक्ति चाहे किसी भी प्रफेशन से जुड़ा हो वो दवाइयां लेते हुए अपने काम और जीवन को सामान्य तरीके से जी सकता है.

स्किज़ोफ्रेनिया के प्रमुख लक्षण

1. व्यक्ति लोगों से दूर बिलकुल अकेले रहना और खुद से बातें करना पसंद करता है, ऐसी मानसिक अवस्था को विड्रॉअल सिंड्रोम कहा जाता है

2. रोज़मर्रा से जुड़े मामूली कार्य करने में दिक्कत और अनिद्रा की समस्या भी होती है

3. वास्तविक दुनिया से संपर्क खत्म होना और अपने भीतर अलौकिक शक्तियों का एहसास होना

4. मरीज़ हमेशा भ्रम की स्थिति में रहता है. सामने कुछ भी नहीं होता, फिर भी उसे ऐसी आवज़ें सुनाई देती हैं या ऐसे सजीव दृश्य दिखाई देते हैं, मानो सारी घटनाएं उसकी आंखों के सामने ही घटित हो रही हों.

5. व्यवहार हिंसक और आक्रामक हो जाता है. अपनी भावनाओं और विचारों पर मरीज़ का कोई नियंत्रण नहीं रहता. ऐसे में वह स्वयं को या सामने मौज़ूद व्यक्ति को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

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