World Diabetes Day: रात में दूध-दही का सेवन शुगर मरीजों के लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह? एक्सपर्ट की ये है राय

World Diabetes Day 2021: मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को दूध का सेवन करने में सावधान रहना चाहिए, क्योंकि दूध में लैक्टोज पाया जाता है, जो चीनी का ही एक रूप है. इसलिए इसकी मात्रा पर ध्यान देना जरूरी है. वहीं, दही का संतुलित मात्रा में सेवन टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को 14 फीसदी तक कम करता है.

By Prabhat Khabar | November 14, 2021 12:01 PM

World Diabetes Day 2021: डाइबिटीज मुख्यतः मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है. इसमें अपने खान-पान को नियंत्रित और नियमित रखना बेहद जरूरी है. मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को दूध का सेवन करने में सावधान रहना चाहिए, क्योंकि दूध में लैक्टोज पाया जाता है, जो चीनी का ही एक रूप है. इसलिए इसकी मात्रा पर ध्यान देना जरूरी है. दूध में उपस्थित फैट भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें खड़ी कर सकता है, लेकिन इसमें मौजूद कैल्शियम, मैग्नेशियम और विटामिन जैसे पोषक तत्व डायबिटीज मरीजों के लिए लाभदायक हैं.

लो फैट दूध लेना सुरक्षित: डायबिटीज रोगी के लिए दूध की वैराइटीज को चुनना चाहिए. हाइ प्रोटीन और लो फैट वाला दूध पूरी तरह से सुरक्षित है. इससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायता मिलेगी. सोते समय दूध पीने से बचें, क्योंकि रात में दूध में मौजूद कैलोरी की मात्रा शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है. इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है. जबकि लो फैट मिल्क सुबह के नाश्ते के साथ ले सकते हैं. सुबह के समय ब्लड शुगर लेवल कम होता है और बॉडी को एनर्जी की जरूरत होती है.

दही का सेवन कैसे और कब करें: दही/योगर्ट का संतुलित मात्रा में सेवन टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को 14 प्रतिशत तक कम करता है. अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए आप 125 ग्राम तक दही/ योगर्ट ले सकते हैं. दही के प्रोबायोटिक प्रभाव ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करने और बुजुर्गों में डायबिटीज के रिस्क को कम करने में मदद करता है.

अच्छी क्वालिटी के योगर्ट चुनने के लिए प्रोडक्ट का लेबल जांच लें कि उसमें कार्ब्स 10-15 प्रतिशत तक हों. ब्रेकफास्ट में हाइ प्रोटीन या कार्ब डाइट की जगह पर इसका सेवन कर सकते हैं. खाने के बाद मिठाई के विकल्प में भी आप दही लें. हां, स्थिति को समझकर व डॉक्टर के निर्देशानुसार ही ये चीजें खानी चाहिए.

ग्लाइसेमिक इंडेक्स को जानें: दही का सेवन अपने कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और कम ग्लाइसेमिक लोड के कारण डायबिटीज के लो रिस्क से जुड़ा हुआ है. ग्लाइसेमिक इंडेक्स कार्बोहाइड्रेट वाली खाने की चीजों की रैंकिंग का एक सिस्टम है, जो इस बात पर आधारित है कि खाने की कोई चीज सेवन के बाद कितनी तेजी से ब्लड शुगर लेवल बढ़ाती है और गिराती है. वहीं ग्लाइसेमिक लोड नाम का पैमाना, ब्लड शुगर पर भोजन के असल प्रभाव की अधिक सटीक तस्वीर देता है.

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