Viral Fever: वायरल बुखार के मौसम में रहें सावधान, इन बातों का रखें ध्यान

Viral Fever: असमय बारिश के बाद बढ़ी गर्मी और बदलते मौसम में बच्चों को संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है. दरअसल, बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुकाबले कमजोर होती है. इस वजह से वे जल्दी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं.

By Vivekanand Singh | April 14, 2023 11:49 AM

Viral Fever: असमय बारिश के बाद बढ़ी गर्मी और बदलते मौसम में बच्चों को संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है. दरअसल, बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुकाबले कमजोर होती है. इस वजह से वे जल्दी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. वहीं, इन दिनों वायरस का ट्रिपल अटैक यानी इंफ्लुएंजा-एच3एन2, कोरोना वायरस और एडिनोवायरस के संक्रमण के मामले देश भर में देखने को मिल रहे हैं. इनमें से एडिनोवायरस बच्चों को तेजी से अपनी चपेट में लेता है. इस वायरस से पीड़ित बच्चों में तेज बुखार, गले में खराश, सर्दी आदि लक्षण दिखायी देते हैं. जानें कैसे सावधान रहकर आप अपने बच्चे व अपना भी बचाव कर सकते हैं.

साधारण फ्लू जैसे लक्षणों के साथ बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं. हमारे विशेषज्ञ का मानना है कि ज्यादातर लोगों का बुखार पांच से छह दिन में ठीक हो जा रहा है, लेकिन कई लोगों का बुखार हफ्ते भर बाद भी उतरने का नाम नहीं ले रहा है. दरअसल, वायरस के तेज फैलाव की बड़ी वजह मौसम में हुआ परिवर्तन है. खासकर कमजोर इम्युनिटी की वजह से बच्चे तेजी से वायरल संक्रमण के शिकार हो जा रहे हैं. बच्चों को वायरल संक्रमण होने पर सुस्ती, भूख न लगना, शरीर का तापमान बढ़ जाना, सर्दी-जुकाम, खांसी व ठंड लगने जैसे लक्षण दिख सकते हैं. अधिकांश वायरल फीवर नियत समय व कुछ सहायक उपचार, जैसे- हल्का गुनगुने पानी से बदन पोछने और दवाओं से ठीक हो जाता है. हालांकि, बच्चे के शरीर का तापमान यदि 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा हो या अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो या फिर ज्यादा सुस्त लगे तो बाल रोग विशेषज्ञ से तुरंत सलाह लेनी चाहिए.

बच्चों को जरूर लगवाएं फ्लू का टीका

फ्लू का टीका बच्चों को इंफ्लुएंजा वायरस के संक्रमण से बचाता है. इससे वायरस द्वारा शरीर को अटैक करने से पहले ही शरीर की इम्युनिटी डेवलप हो जाती है और संक्रमण के चांसेज 60 से 70 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं. इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, छह महीने से पांच वर्ष तक की उम्र के सभी बच्चों को साल में एक बार फ्लू का टीका जरूर लगवाना चाहिए. दरअसल, इंफ्लुएंजा वायरस लगातार म्यूटेट होते रहते हैं और हर वर्ष उनका नया स्ट्रेन सामने आ जाता है. ऐसे में हर वर्ष फ्लू के लिए नयी वैक्सीन भी आती है. इसे लगवाने से वायरल और सीजनल इन्फेक्शन दोनों से बचा जा सकता है. बच्चों के अलावा बुजुर्ग, कमजोर इम्युनिटी वाले लोग या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को भी फ्लू का टीका जरूर लेना चाहिए.

बच्चे को यदि बुखार हो तो क्या करें

बच्चों के बुखार व बड़ों के बुखार में ज्यादा अंतर नहीं होता है. हां बच्चों की इम्युनिटी बड़ों जितनी विकसित नहीं हुई होती है, इसलिए उन्हें इंफेक्शन भी ज्यादा होता है और बुखार भी ज्यादा तेज होता है. आमतौर पर छोटे बच्चों को बुखार होने पर उनके हाथ-पांव तो ठंडे रहते हैं, लेकिन माथा और पेट गर्म रहते हैं. चूंकि, बच्चे अपनी परेशानी को सही तरह से बता पाने में सक्षम नहीं होते, इसलिए बुखार होने पर पैरेंट्स की भूमिका अहम हो जाती है. बुखार होने पर माता-पिता को कुछ बातों पर खास ध्यान रखना चाहिए.

इन बातों का रखें ध्यान

इन सवालों व लक्षणों पर जरूर ध्यान दें. अगर बच्चे को इनमें से कोई भी परेशानी दिखे, तो डॉक्टर से संपर्क कर उन्हें इस बारे में जरूर बताएं. बच्चों में शुरुआती बुखार के दौरान डॉक्टर की सलाह से पैरासिटामॉल सिरप दे सकते हैं. साथ ही बच्चे को हल्के कपड़े पहनाएं, अतिरिक्त कपड़े शरीर की गर्मी को रोकते हैं. बुखार होने पर बच्चे को गुनगुना पानी, जूस, खिचड़ी जैसे तरल पदार्थों का सेवन कराएं. यदि नहलाना हो तो बच्चे को गुनगुने पानी से नहलाएं.

बुखार आने पर घबराएं नहीं

बच्चे को बुखार आ जाने पर घबराएं नहीं, लेकिन यदि बच्चे के शरीर का तापमान 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा हो या बच्चा ज्यादा सुस्त लगे तो बाल रोग विशेषज्ञ से तुरंत सलाह लें.

बुखार के वक्त गुनगुना पानी से नहलाएं

बुखार के दौरान बच्चे के शरीर में पानी की सही मात्रा यानी हाइड्रेशन होना काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में बुखार होने पर बच्चे को गुनगुना पानी, जूस, खिचड़ी जैसे तरल पदार्थों का सेवन कराएं.

बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान


बच्चे को हाइड्रेट रखें

गर्मियों का मौसम शुरू हो चुका है. ऐसे में अपने बच्चे को ज्यादा-से-ज्यादा पानी पिलाएं. पानी पिलाने से शरीर का तापमान सही बना रहता है और संक्रमण होने का खतरा कम रहता है. आप चाहें तो पानी को गुनगुना कर दे सकते हैं.

बच्चों को संक्रमित से दूर रखें

अगर आपके घर में किसी को खांसी या बुखार आदि है, तो अपने बच्चे को ऐसे व्यक्ति से दूर रखें, क्योंकि वायरल संक्रमण मरीज द्वारा खांसने और छींकने से अन्य लोगों तक भी पहुंच सकता है. चूंकि, बच्चों की इम्युनिटी वैसे भी कमजोर होती है, तो इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है. संपर्क में आने पर हाथों को सैनिटाइज करवा दें.

खाने में पौष्टिक आहार दें

बच्चों के खान-पान का पूरा ध्यान रखें. उन्हें पौष्टिक आहार दें. ऐसा खाना खिलाएं, जिससे इम्युनिटी बूस्ट हो. बच्चों को हरी सब्जी, दूध, फलों के रस के जरिये ऊर्जावान बनाये रखें. हानिकारक भोजन और सोडा, चिप्स, चॉकलेट, कुकीज जैसे स्नेक्स का सेवन सीमित करें. बच्चों के खान-पान में दलिया और मोटे अनाज की मात्रा बढ़ाएं. इससे उन्हें मजबूती मिलेगी.

स्वच्छता सबसे जरूरी

किसी भी तरह के इंफेक्शन से बच्चों को दूर रखने के लिए स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें. घर में मच्छरों को पनपने से रोकें. सुबह और शाम के समय अपने बच्चों को घर से बाहर कम निकलने दें. बच्चे को खाने से पहले हाथ धोने के लिए कहें. गंदे हाथों से भोजन करने से बच्चों को संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है.

भीड़भाड़ में जाने से बचें

माता-पिता अपने बच्चे को लेकर ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें. दो वर्ष से ज्यादा उम्र के जो बच्चे मास्क लगाने में सक्षम हैं, उन्हें बाहर लेकर जाते समय मास्क पहनाएं. यदि बच्चे को वायरल संक्रमण के कोई लक्षण हों तो उसे स्कूल न भेजें. इससे यह दूसरे बच्चों में नहीं फैलेगी.

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